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दुर्गा अष्टमी: जानें पूजा का समय और महत्व

दुर्गा अष्टमी, जिसे महाष्टमी भी कहा जाता है, नवरात्रि के दौरान एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन मां दुर्गा की पूजा की जाती है, और भक्त कन्या पूजन करते हैं। जानें इस दिन का शुभ मुहूर्त, पूजा का महत्व और कैसे करें कन्याओं का सम्मान। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कैसे इस दिन को विशेष बनाएं और मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करें।
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दुर्गा अष्टमी: जानें पूजा का समय और महत्व

जानें शुभ मुहूर्त और महत्व


दुर्गा अष्टमी, नई दिल्ली: नवरात्रि की अष्टमी तिथि का विशेष महत्व है, जिसे महाष्टमी या दुर्गाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन कई भक्त नवरात्र व्रत का पारण करते हैं और कन्या पूजन का आयोजन करते हैं। आइए जानते हैं कि शारदीय नवरात्र की अष्टमी पूजा कब होगी और इसका महत्व क्या है।


अष्टमी तिथि का समय

वैदिक पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्र की अष्टमी तिथि 29 सितंबर को दोपहर 4:31 बजे से शुरू होगी और 30 सितंबर को शाम 6:06 बजे समाप्त होगी। इस प्रकार, महाष्टमी का पर्व मंगलवार, 30 सितंबर को मनाया जाएगा।


महाष्टमी का महत्व

नवरात्र की अष्टमी तिथि पर मां दुर्गा की पूजा का विशेष महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन देवी दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध किया था। इसलिए इसे बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। इस दिन मां दुर्गा के आठवें रूप, महागौरी की पूजा की जाती है। कई भक्त इस दिन कन्या पूजन करते हैं, जिसमें छोटी कन्याओं को देवी का रूप मानकर उनकी पूजा की जाती है और उन्हें भोजन कराया जाता है।


कन्याओं को उपहार दें

कन्याओं को विदा करते समय उन्हें उपहार या धन देना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही माता रानी की कृपा से स्वास्थ्य, धन और आध्यात्मिक उन्नति का आशीर्वाद भी मिलता है। नवरात्र की अष्टमी तिथि को किसी नए कार्य की शुरुआत के लिए भी बहुत शुभ माना जाता है।


इन मंत्रों का जप करें

1. मंत्र: श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:


2. मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम:


3. सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।


नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।


मां दुर्गा ध्यान मंत्र


  • ॐ जटा जूट समायुक्तमर्धेंन्दु कृत लक्षणाम्

  • लोचनत्रय संयुक्तां पद्मेन्दुसद्यशाननाम॥