देव दीपावली: जानें कब मनाई जाएगी यह विशेष पर्व
भगवान शिव का त्रिपुरासुर राक्षस का वध
Dev Deepawali: हिंदू धर्म में दीपावली के साथ देव दीपावली का भी विशेष महत्व है। यह त्योहार देवताओं की दीपावली के रूप में मनाया जाता है। दीवाली के 15 दिन बाद देव दीपावली का पर्व आता है। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा को भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था।
देव दीपावली का पर्व
इस दिन सभी देवता काशी में उतरते हैं और दीवाली मनाते हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव की पूजा, गंगा में स्नान और दीप दान करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
देव दीपावली की तिथि
हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा को देव दीपावली मनाई जाती है। इस वर्ष, कार्तिक पूर्णिमा 4 नवंबर, मंगलवार को रात 10:36 बजे शुरू होगी और 5 नवंबर, बुधवार को शाम 06:48 बजे समाप्त होगी। इस प्रकार, देव दीपावली का पर्व 5 नवंबर को मनाया जाएगा।
दीप दान का महत्व
देव दीपावली के दिन दीप दान का विशेष महत्व है। सबसे पहले घर के मंदिर में दीपक जलाकर भगवान का आशीर्वाद लें। इसके बाद भगवान विष्णु और भगवान शिव के मंदिर में दीप जलाएं। पवित्र नदियों के किनारे दीपदान करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। गुरु या किसी ब्राह्मण के घर दीप जलाने से ज्ञान और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। पूर्णिमा तिथि पर पीपल वृक्ष के नीचे दीपक जलाना भी शुभ माना जाता है।
पूजा विधि
- पूजा से पहले गंगा नदी या किसी पवित्र जल में स्नान करें।
- स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें और घर के मंदिर या आंगन में दीप जलाएं।
- भगवान शिव और गंगा माता की पूजा करें।
- शिवलिंग पर जल, दूध, और बेल पत्र अर्पित करें।
- भगवान शिव की आरती करें।
- मां गंगा को दीप अर्पित करें और आरती करें।
- भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते अर्पित करें।
- भगवान विष्णु की आरती करें और मंत्र का जाप करें।
- भगवान शिव, मां गंगा और भगवान विष्णु को भोग अर्पित करें।
