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देव दीपावली पर पूजा की विधि और महत्व

देव दीपावली, जिसे देवताओं की दीपावली कहा जाता है, कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इस दिन देवताओं के गंगा स्नान की मान्यता है। जानें इस पावन अवसर पर किसकी पूजा करनी चाहिए, लक्ष्मी जी का पूजन कैसे किया जाता है, और आरती गाने की विधि क्या है। यह लेख आपको देव दीपावली के महत्व और पूजा की प्रक्रिया के बारे में जानकारी देगा।
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देव दीपावली पर पूजा की विधि और महत्व

देव दीपावली पर पूजा का महत्व

देव दीपावली पर किसकी पूजा होती है: देव दीपावली, जिसे देवताओं की दीपावली भी कहा जाता है, कार्तिक पूर्णिमा के दिन धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन मान्यता है कि देवता स्वर्ग से उतरकर गंगा में स्नान करते हैं, जिससे यह दिन अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस अवसर पर यह जानना आवश्यक है कि किस देवता की पूजा करनी चाहिए, किसकी आरती गानी चाहिए, और क्या लक्ष्मी जी का पूजन भी किया जाता है। आइए, इसे सरल भाषा में समझते हैं।


देव दीपावली पर किसकी पूजा होती है?

कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की पूजा का विशेष महत्व है। शालिग्राम या विष्णु जी की मूर्ति के समक्ष दीप जलाकर “ॐ नमो नारायणाय” का जाप करें। इसके साथ ही भगवान शिव, मां गंगा और तुलसी माता की पूजा भी अवश्य करें।


क्या देव दीपावली पर लक्ष्मी जी का पूजन होता है?

शाम होते ही घर को दीपों से सजाएं और मां लक्ष्मी की पूजा करें। हां, लक्ष्मी पूजन होता है, लेकिन मुख्य ध्यान भगवान शिव, विष्णु और गंगा माता की आराधना पर होता है।


देव दीपावली पर किसकी आरती करें?

इस पावन दिन भगवान शिव, विष्णु, मां गंगा और मां लक्ष्मी की आरती गाना चाहिए। शिव जी के लिए “ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा” गाएं। मां लक्ष्मी के लिए “ॐ जय लक्ष्मी माता” और मां गंगा के लिए “ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता” की आरती करें। अंत में “ॐ जय लक्ष्मी रामणा, विष्णु प्रिया सुहागन” गाकर पूजा का समापन करें।