देवउठनी एकादशी: पावन दिन और गीत
देवउठनी एकादशी का महत्व
इस वर्ष देवउठनी एकादशी का पर्व 1 नवंबर 2025 को मनाया जाएगा। मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी से योग निद्रा में चले जाते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं। इस दिन को देव जागरण का पर्व कहा जाता है।
देवउठनी एकादशी गीत
सुबह-सुबह 'उठो देव बैठो देव' गीत गूंजता है, जिसमें तुलसी-शालिग्राम का विवाह होता है और वातावरण भक्तिमय बन जाता है। यदि आप भी इस पारंपरिक गीत को गाना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए लिरिक्स को ध्यान से पढ़ें और गुनगुनाएं!
उठो देव बैठो देव
पाटकली चटकाओ देव
आषाढ़ में सोए देव
कार्तिक में जागे देव
कोरा कलशा मीठा पानी
उठो देव पियो पानी
हाथ पैर फटकारो देव
आंगुलिया चटकाओ देव
कुवारी के ब्याह कराओ देव
ब्याह के गौने कराओ
तुम पर फूल चढ़ाए देव
घीका दीया जलाए देव
आओ देव पधारो देव
तुमको हम मनाएं देव
चूल्हा पीछे पांच पछीटे
सासू जी बलदाऊ जी धारे रे बेटा
ओने कोने झांझ मंजीरा
सहोदर किशन जी तुम्हारे वीरा
ओने कोने रखे अनार
ये है किशन जी तुम्हारे व्यार
ओने कोने लटकी चाबी
सहोदरा ये है तुम्हारी भाभी
जितनी खूंटी टांगो सूट
उतने इस घर जन्मे पूत
जितनी इस घर सीक सलाई
उतनी इस घर बहुएं आईं
जितनी इस घर ईंट और रोडे
उतने इस घर हाथी-घोड़े
गन्ने का भोग लगाओ देव
सिंघाड़े का भोग लगाओ देव
बेर का भोग लगाओ देव
गाजर का भोग लगाओ देव
उठो देव उठो
