धनतेरस: समृद्धि और स्वास्थ्य का पर्व

धनतेरस का महत्व
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है, जिसे धन त्रयोदशी और धन्वंतरी त्रयोदशी भी कहा जाता है। इस दिन देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश, ब्रह्मा, विष्णु और महेश की पूजा की जाती है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान माता लक्ष्मी का अवतरण हुआ, जिसके प्रतीक के रूप में बर्तन खरीदने की परंपरा शुरू हुई।
धनतेरस की पूजा
इस वर्ष धनतेरस का पर्व 18 अक्टूबर को मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास के अनुसार, इस दिन भगवान धनवंतरी का जन्म हुआ था। धनतेरस के दिन बर्तन खरीदने की परंपरा का संबंध समुद्र मंथन से है। इस दिन नए सामान की खरीद से धन में वृद्धि होने की मान्यता है।
यमदीप की परंपरा
धनतेरस पर यमदीप जलाने की परंपरा भी है, जो रोग, शोक और मृत्यु से बचाने के लिए होती है। इस दिन यमराज के लिए दीप जलाने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
धनतेरस पर पूजा सामग्री
धनतेरस पर पूजा में पान, सुपारी, साबुत धनिया, बताशा, खील, दिया और कपूर का उपयोग किया जाता है। पान के पत्ते देवी-देवताओं का वास मानते हैं, जबकि सुपारी का उपयोग शुभ माना जाता है।
धनतेरस पर खरीदारी
इस दिन सोना, चांदी, तांबा, झाड़ू, शंख, रूद्राक्ष और देवी लक्ष्मी तथा भगवान गणेश की मूर्तियाँ खरीदना शुभ माना जाता है। इन चीजों की खरीद से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
धनतेरस का पौराणिक महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार, लक्ष्मी जी ने एक किसान की सेवा की और उसके घर को धन-धान्य से भर दिया। तभी से धनतेरस के दिन लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है।