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नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा का महत्व

नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन भक्त मां कुष्मांडा की आराधना करते हैं, जो सृष्टि की रचनाकार मानी जाती हैं। जानें उनकी पूजा विधि, मंत्र और कथा, जिससे आप मां की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। इस लेख में मां कुष्मांडा के दिव्य स्वरूप और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख और समृद्धि पाने के उपायों के बारे में विस्तार से बताया गया है।
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नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा का महत्व

नवरात्रि के चौथे दिन कुष्मांडा पूजा

Navratri Fourth Day Kushmanda Puja : शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व पूरे उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। यह त्योहार 22 सितंबर से शुरू हुआ और इस साल यह 10 दिनों तक चलेगा, क्योंकि तृतीया तिथि दो दिन मनाई गई। आज, 26 सितंबर 2025 को, नवरात्रि का चौथा दिन है, जब मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है।


मां कुष्मांडा को सृष्टि की रचनाकार माना जाता है, और उनकी पूजा से भक्तों को शक्ति, बुद्धि और समृद्धि प्राप्त होती है। आइए, जानते हैं मां कुष्मांडा की पूजा विधि, मंत्र, कथा और आरती के बारे में।


मां कुष्मांडा का दिव्य स्वरूप

मां कुष्मांडा का स्वरूप अत्यंत दिव्य और शक्तिशाली है। वे शेर पर सवार होती हैं और उनके पास आठ भुजाएं होती हैं। इन भुजाओं में कमल, कलश, कमंडल, सुदर्शन चक्र और अन्य अस्त्र होते हैं। मां का यह रूप भक्तों को जीवन शक्ति और ऊर्जा प्रदान करता है।


उनकी कृपा से भक्तों को सुख, समृद्धि और बुद्धि की प्राप्ति होती है। मां कुष्मांडा को ब्रह्मांड की रचनाकार माना जाता है, और उनकी पूजा विशेष रूप से विद्यार्थियों के लिए लाभकारी होती है।


मां कुष्मांडा की पूजा विधि

मां कुष्मांडा की पूजा के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को साफ करें और माता की चौकी सजाएं।


मां को पान, सुपारी, फूल, फल, लाल चुनरी, सिंदूर, अक्षत, चंदन और रोली अर्पित करें। भोग के रूप में मालपुआ, मिठाई या अन्य सात्विक भोजन चढ़ाएं, क्योंकि मां को मालपुआ विशेष रूप से प्रिय है। इसके बाद घी का दीपक और धूपबत्ती जलाएं। आप दुर्गा सप्तशती का पाठ या दुर्गा चालीसा का जाप भी कर सकते हैं। अंत में मां कुष्मांडा की आरती करें और उनका आशीर्वाद लें।


मां कुष्मांडा को भोग

मां कुष्मांडा को पीले रंग की मिठाइयां, जैसे केसर वाला पेठा और बताशे, बहुत पसंद हैं। इसके अलावा, मालपुआ का भोग भी मां को अर्पित किया जा सकता है। कुछ भक्त सफेद पेठे की बलि भी चढ़ाते हैं। भोग लगाते समय श्रद्धा और भक्ति के साथ अर्पित करें ताकि मां की कृपा प्राप्त हो सके।


मां कुष्मांडा का मंत्र

मां कुष्मांडा की पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप करें:
या देवी सर्वभूतेषु कुष्मांडा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।
इस मंत्र का जाप करने से मां की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।


मां कुष्मांडा की कथा

जब सृष्टि का कोई अस्तित्व नहीं था, चारों ओर केवल अंधेरा था। न दिन था, न रात, न सूर्य और न चंद्रमा। तब मां कुष्मांडा ने अपनी दिव्य मुस्कान और शक्ति से सूर्य का तेज पैदा किया और ब्रह्मांड को प्रकाशित किया। उनकी कृपा से ही जीवन का आरंभ हुआ।


मां कुष्मांडा आठ भुजाओं वाली देवी हैं, जिनके हाथों में अमृत कलश, सुदर्शन चक्र और जपमाला सहित कई शस्त्र हैं। वे शेर पर सवार होकर भक्तों को बल, बुद्धि और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। दुर्गा पुराण के अनुसार, मां कुष्मांडा ने ही ब्रह्मांड की रचना की, इसलिए उन्हें 'अंड' की उत्पत्ति करने वाली देवी कहा जाता है। उनकी पूजा से विशेष रूप से विद्यार्थियों को बुद्धि और एकाग्रता मिलती है।


मां कुष्मांडा की आरती

मां कुष्मांडा की पूजा को पूर्ण करने के लिए उनकी आरती करें:
कूष्मांडा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥
पिङ्गला ज्वालामुखी निराली। शाकम्बरी माँ भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे। भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा। स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदम्बे। सुख पहुंचाती हो मां अम्बे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा। पूर्ण कर दो मेरी आशा॥


मां के मन में ममता भारी। क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा। दूर करो मां संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो। मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए। भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥
कूष्मांडा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥


निष्कर्ष

नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा करके आप उनके आशीर्वाद से अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि पा सकते हैं। तो आज ही विधि-विधान से पूजा करें और मां की कृपा प्राप्त करें!