नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा विधि और महत्व
नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन भक्तजन मां की आराधना विधि, प्रिय भोग और मंत्र का उपयोग करते हैं। जानें मां कूष्मांडा का स्वरूप, पूजा विधि और उनके प्रिय फूलों के बारे में। इस लेख में मां कूष्मांडा की आरती और उनके मंत्र भी शामिल हैं, जो भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त करने में मदद करते हैं।
Sep 24, 2025, 15:47 IST
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नवरात्रि का पर्व और मां कूष्मांडा की पूजा
शारदीय नवरात्रि का पर्व चल रहा है, जिसमें घर-घर में पूजा और कीर्तन का आयोजन हो रहा है। नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा का विशेष महत्व है। भक्तजन मां कूष्मांडा की पूजा विधि-विधान से करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां कूष्मांडा की आराधना से रोग, शोक और कष्ट दूर होते हैं, साथ ही धन, यश और आय में वृद्धि होती है। मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा विधि, प्रिय भोग, पुष्प, शुभ रंग और मंत्र का उपयोग किया जाता है।
मां कूष्मांडा का स्वरूप
मां कूष्मांडा सृजन और मातृत्व का प्रतीक मानी जाती हैं। यह उस अवस्था का प्रतीक है जब स्त्री गर्भधारण कर जीवन को जन्म देने की शक्ति अपने भीतर धारण करती है। मां कूष्मांडा के आठ भुजाएं हैं, इसलिए इन्हें देवी अष्टभुजा भी कहा जाता है। मां कूष्मांडा की सवारी शेर है।
मां कूष्मांडा की पूजा विधि
सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें। इसके बाद मां कूष्मांडा का ध्यान करते हुए मां दुर्गा को धूप, गंध, अक्षत, लाल पुष्प, फल, श्रृंगार का सामान और मिठाई अर्पित करें। माता रानी को भोग लगाएं और अंत में मां की आरती उतारें तथा मंत्रों का जाप करें।
मां कूष्मांडा का प्रिय भोग
मां कूष्मांडा का प्रिय भोग मालपुआ है। इसके अतिरिक्त, दही और हलवे को भी भोग के रूप में अर्पित किया जा सकता है। मान्यता है कि मां को उनका प्रिय भोग लगाने से भक्त की इच्छाएं पूरी होती हैं।
प्रिय फूल और शुभ रंग
धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां कूष्मांडा को लाल रंग के फूल पसंद हैं। भक्त लाल कमल, लाल गुड़हल और गेंदे के फूल अर्पित कर सकते हैं। नवरात्रि के चौथे दिन हरा पहनना शुभ माना जाता है, क्योंकि मां कूष्मांडा को हरा रंग प्रिय है।
मां कूष्मांडा के मंत्र
मां कूष्मांडा के मंत्र इस प्रकार हैं: "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नमः" और "या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः"। "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नमः" का 108 बार जाप करने से देवी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है और बाधाएं दूर होती हैं।
मां कूष्मांडा की आरती
कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी मां भोली भाली॥ लाखों नाम निराले तेरे।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदंबे।
सुख पहुंचती हो मां अंबे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
मां के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो मां संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥