नवरात्रि में मां सरस्वती की पूजा का महत्व और तिथियाँ
नवरात्रि का पर्व भारत में धूमधाम से मनाया जाता है, जिसमें मां सरस्वती की पूजा का विशेष महत्व है। इस लेख में जानें मां सरस्वती की पूजा की तिथियाँ, विधि और इस पर्व का धार्मिक महत्व। 30 सितंबर को महाअष्टमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है। जानें कैसे करें उनकी आराधना और क्या है इस दिन की विशेषताएँ।
Sep 30, 2025, 11:32 IST
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नवरात्रि का पर्व
भारत में नवरात्रि का त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। धार्मिक परंपराओं के अनुसार, यह पर्व मुख्य रूप से तीन देवियों, मां दुर्गा, मां सरस्वती और मां लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित है। इस दौरान मां सरस्वती की पूजा का विशेष महत्व होता है, जिन्हें विद्या और ज्ञान की देवी माना जाता है। नवरात्रि की सप्तमी तिथि पर मां सरस्वती का आह्वान किया जाता है, जबकि अष्टमी के दिन उनकी पूजा की जाती है। नवमी के दिन सरस्वती बलिदान होता है और दशमी को उनका विसर्जन किया जाता है। आज, 30 सितंबर को महाअष्टमी के अवसर पर सुर और संगीत की देवी मां सरस्वती की पूजा की जा रही है।
सरस्वती पूजा की तिथियाँ
29 सितंबर 2025- सरस्वती आवाह्नान
30 सितंबर 2025- सरस्वती पूजा
01 अक्टूबर 2025- सरस्वती बलिदान
02 अक्टूबर 2025- सरस्वती विसर्जन
दूसरे दिन मां सरस्वती की पूजा
यह ध्यान देने योग्य है कि शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर मां सरस्वती की पूजा पूर्वाषाढ़ नक्षत्र में की जाती है। इस दिन मां वीणा वादिनी की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन विधिपूर्वक मां सरस्वती की पूजा की जाती है। सरस्वती पूजन के दिन पठन-पाठन और लेखन कार्य नहीं किया जाता है।
पूजन विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। फिर मां सरस्वती की पूजा के लिए घर में उनके चित्र या प्रतिमा को स्थापित करें। इसके बाद रोली, चंदन, पुष्प, धूप, दीप, फल और मिठाई अर्पित करें। मां सरस्वती को सफेद रंग की मिठाई और वस्त्र अर्पित करें। उनके मंत्रों का जाप करें और अंत में आरती करके सभी को प्रसाद वितरित करें।