नाग पंचमी 2025: जानें इस पवित्र त्योहार की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

नाग पंचमी 2025: इस पवित्र त्योहार की जानकारी
नाग पंचमी 2025 का त्योहार सावन महीने में धूमधाम से मनाया जाएगा। यह पर्व नाग देवता की पूजा के लिए समर्पित है, जिसमें भक्त सर्प देवता को दूध अर्पित करते हैं। मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा से धन-धान्य में वृद्धि होती है, इच्छाएं पूरी होती हैं, और काल सर्प दोष से मुक्ति मिलती है। लोग इस पर्व की तिथि और पूजा के शुभ मुहूर्त की जानकारी पहले से ही जुटा रहे हैं। आइए, जानते हैं इस साल की सही तिथि, मुहूर्त, और पूजा की विधि।
नाग पंचमी 2025: तिथि
हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी मनाई जाती है। वर्ष 2025 में यह पर्व मंगलवार, 29 जुलाई को आएगा। इस दिन भक्त अपने घरों और मंदिरों में नाग देवता की पूजा करेंगे। यह तिथि पंचांग के अनुसार निर्धारित की गई है और भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
नाग पंचमी 2025 के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5:41 बजे से 8:23 बजे तक रहेगा। इस समय में पूजा करने से नाग देवता की कृपा प्राप्त होती है। भक्तों को सलाह दी जाती है कि वे इस मुहूर्त में पूजा संपन्न करें ताकि उन्हें पूर्ण फल प्राप्त हो। सूर्योदय के समय शुरू होने वाला यह मुहूर्त विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
नाग पंचमी की पूजा विधि
नाग पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। घर के पूजा स्थल पर गाय के गोबर या पवित्र मिट्टी से सर्प का आकार बनाएं। इसके बाद नाग देवता को दूध, दही, दूर्वा, फूल, कुश, गंध, अक्षत, रोली, हल्दी, फल, मिठाई, पंचामृत, और पंचमेवा अर्पित करें। धूप और दीप जलाकर आरती करें। पूजा के अंत में नाग पंचमी की कथा पढ़ें या सुनें। यह विधि सरल लेकिन प्रभावशाली है।
नाग पंचमी का महत्व
नाग पंचमी का त्योहार हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखता है। यह पर्व प्रकृति और सर्पों के प्रति सम्मान को दर्शाता है। मान्यता है कि नाग देवता की पूजा से घर में सुख-समृद्धि आती है और परिवार की रक्षा होती है। काल सर्प दोष से पीड़ित लोग इस दिन विशेष पूजा करते हैं। यह त्योहार भक्तों को आध्यात्मिक और मानसिक शांति प्रदान करता है।
नाग पंचमी 2025 के दिन कुछ बातों का ध्यान रखें। सर्पों को नुकसान न पहुंचाएं और जीवित सांपों को दूध पिलाने से बचें, क्योंकि यह उनके लिए हानिकारक हो सकता है। पूजा में शुद्धता और श्रद्धा बनाए रखें। अगर संभव हो तो मंदिर में जाकर नाग देवता के दर्शन करें। यह पर्व न केवल धार्मिक, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश देता है।