नाग पंचमी 2025: पूजा विधि और धार्मिक महत्व

नाग पंचमी 2025 का पर्व
Nag Panchami 2025: आज देशभर में श्रद्धा और भक्ति के साथ नाग पंचमी का पर्व मनाया जा रहा है। यह पर्व हर साल सावन के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है, जो इस वर्ष 29 जुलाई 2025 को है। हिंदू पंचांग के अनुसार, नाग पंचमी की तिथि 28 जुलाई की रात 11:24 बजे से शुरू होकर 30 जुलाई की रात 12:46 बजे तक रहेगी। हालांकि, उदयातिथि के अनुसार, इसका पर्व आज ही मनाया जा रहा है, जो धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है।
नाग पंचमी की पूजा का महत्व
नाग पंचमी के दिन पूजा का विशेष महत्व होता है। इस बार पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5:41 से 8:23 बजे तक है। इस समय के दौरान नाग देवता की विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन की परेशानियों से मुक्ति मिलती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
नाग पंचमी की पूजन विधि
नाग पंचमी की पूजन विधि
इस पावन दिन पर सुबह स्नान करके सबसे पहले भगवान शिव का स्मरण करें और उनका अभिषेक करें। उन्हें बेलपत्र और गंगाजल अर्पित करें। इसके बाद भगवान शिव के गले में विराजमान नाग देवता की पूजा करें। नाग देव को हल्दी, रोली, अक्षत (चावल) और फूल चढ़ाएं। फिर चना, खील, बताशा और कच्चा दूध अर्पित करें। इसके बाद घर के मुख्य द्वार पर गोबर, मिट्टी या गेरू से नाग की आकृति बनाएं और उसकी भी विधिपूर्वक पूजा करें। अंत में ‘ऊं कुरु कुल्ले फट स्वाहा’ मंत्र का जाप करते हुए पूरे घर में जल छिड़कें, जिससे नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
विशेष उपाय
विशेष उपाय
अगर आप राहु-केतु की दशा या कालसर्प दोष से परेशान हैं, तो आज का दिन इन दोषों से छुटकारा पाने के लिए बेहद खास है। इसके लिए एक मोटी रस्सी लें और उसमें सात गांठें लगाकर सर्प का प्रतीक बनाएं। इस प्रतीक की पूजा करें और कच्चा दूध, फूल, बताशा और गुग्गल की धूप अर्पित करें। इसके बाद ‘ऊं रां राहवे नम:’ और ‘ऊं कें केतवे नम:’ मंत्र का जाप करें। फिर रस्सी की गांठों को धीरे-धीरे खोलें और अंत में इसे बहते जल में प्रवाहित कर दें।
नाग पंचमी का धार्मिक महत्व
नाग पंचमी का धार्मिक महत्व
नाग पंचमी का पर्व हिंदू संस्कृति में अत्यंत पवित्र माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, नाग देवता पाताल लोक के देवता माने जाते हैं और ये भगवान शिव के प्रिय हैं। नागराज वासुकी, जो शिवजी के गले में लिपटे रहते हैं, उनकी पूजा इस दिन विशेष फलदायक मानी जाती है। साथ ही देवी मनसा की भी पूजा की जाती है, जिन्हें वासुकी की बहन और शिव की पुत्री कहा जाता है।