नाग पंचमी पर खुलता है अद्वितीय नागचंद्रेश्वर मंदिर, जानें इसकी खासियत

नागचंद्रेश्वर मंदिर का अनोखा दर्शन
उज्जैन। क्या आपने कभी ऐसा मंदिर देखा है जो साल में केवल एक बार भक्तों के लिए खुलता है? आज हम आपको नागचंद्रेश्वर मंदिर के बारे में बताएंगे, जो नंगों के राजा तक्षक से गहरा संबंध रखता है। यह मंदिर मध्यप्रदेश के उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर के तीसरे तल पर स्थित है और साल भर बंद रहता है।
नाग पंचमी के अवसर पर शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ होती है और नागदेवता की पूजा की जाती है। उज्जैन में यह पर्व विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस दिन भक्तों को नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन का अवसर मिलता है। इस वर्ष नाग पंचमी 29 जुलाई को मनाई जाएगी, और मंदिर के कपाट सोमवार रात 12 बजे खोले जाएंगे। इस मंदिर का महत्व इतना है कि देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं।
यह मंदिर 28-29 जुलाई की मध्य रात्रि 12 बजे 24 घंटे के लिए खोला जाएगा। एक दिन में लगभग 10 लाख श्रद्धालुओं के दर्शन करने की संभावना है। मंदिर समिति ने व्यापक इंतजाम किए हैं, और हर श्रद्धालु को 40 मिनट में दर्शन कराने का प्रयास किया जाएगा। नागचंद्रेश्वर मंदिर का निर्माण परमार राजा भोज ने 11वीं शताब्दी में करवाया था, और 1732 में राणोजी सिंधिया ने इसका जीर्णोद्धार किया। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि शिल्प कला का अद्भुत उदाहरण भी है।
मंदिर के बंद रहने का कारण
इस मंदिर के बंद रहने का एक पौराणिक कारण है। नागचंद्रेश्वर का संबंध नागों के देवता से है, और धार्मिक ग्रंथों में नागराज तक्षक का उल्लेख मिलता है। तक्षक, भोलेनाथ का अनन्य भक्त था और उसने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया। शिवजी ने उसे अमरत्व का वरदान दिया, जिसके बाद तक्षक ने महाकाल वन में निवास किया। उसकी इच्छा थी कि वह एकांत में रहकर भक्ति कर सके, इसलिए यह मंदिर केवल एक दिन के लिए खुलता है।