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नाग पंचमी: महत्व और मान्यताएँ

नाग पंचमी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो भगवान शिव और नाग देवता की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह पर्व न केवल धार्मिक मान्यताओं को दर्शाता है, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस लेख में हम नाग पंचमी के पीछे की कहानियों, जैसे राजा परीक्षित और भगवान श्री कृष्ण की कथाएँ, और इस पर्व का सांस्कृतिक महत्व समझेंगे। जानें कैसे यह त्योहार जीवन में सुख और शांति लाने में मदद करता है।
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नाग पंचमी: महत्व और मान्यताएँ

नाग पंचमी का महत्व

नाग पंचमी का महत्व हिंदू धर्म में त्योहारों का विशेष स्थान है, और नाग पंचमी भी इनमें से एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस वर्ष, यह त्योहार 29 जुलाई को मनाया जाएगा। नागों का संबंध भगवान शिव से जोड़ा जाता है, और इस दिन शिव की पूजा के साथ-साथ नाग देवता की भी आराधना की जाती है। नाग पंचमी पर शिव और नाग देवता की पूजा से जीवन में सुख और शांति बनी रहती है, कालसर्प दोष समाप्त होता है, और सर्प भय से मुक्ति मिलती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है? आइए, इस लेख में हम इसके पीछे की कथा और मान्यता को समझते हैं।


नाग पंचमी का त्योहार क्यों मनाया जाता है?

हिंदू धर्म में नाग पंचमी एक ऐसा पर्व है जो धर्म, प्रकृति और करुणा का प्रतीक है। यह त्योहार न केवल प्राचीन संस्कृति को दर्शाता है, बल्कि जीवों के प्रति दया की भावना को भी बढ़ावा देता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, नाग पंचमी से जुड़ी कई कहानियाँ हैं। एक प्रसिद्ध कथा महाभारत काल की है, जिसमें राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने एक विशाल सर्प यज्ञ का आयोजन किया था। जब सभी सर्प जलने लगे, तो मुनि अस्तिक ने जनमेजय को समझाया और यज्ञ को रोका। यह घटना श्रावण मास की पंचमी तिथि को हुई थी, इसलिए इस दिन को नागों की रक्षा के लिए समर्पित माना जाता है।


भगवान श्री कृष्ण और कालिया नाग की कथा

एक और प्राचीन कथा भगवान श्री कृष्ण और कालिया नाग से जुड़ी है। कहा जाता है कि श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर भगवान श्री कृष्ण ने कालिया नाग से वृंदावन के लोगों की रक्षा की थी। इस दिन के बाद से भारत में नागों की पूजा की परंपरा शुरू हुई।


नाग पंचमी का पर्यावरणीय महत्व

नाग पंचमी का संबंध केवल धार्मिकता से नहीं है, बल्कि यह पर्यावरणीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। श्रावण मास में बारिश होती है, और इस दौरान सांप अपने बिलों से बाहर निकलते हैं। इस दिन सांपों को दूध, चावल और मीठा अर्पित करने की परंपरा है, ताकि वे किसी को नुकसान न पहुँचाएँ।