नाग पंचमी: सांपों की पूजा और उनकी कहानियाँ
नाग पंचमी का महत्व
चातुर्मास के दौरान मनाए जाने वाले त्यौहारों में नाग पंचमी का विशेष स्थान है। यह त्यौहार श्रावण वद्य पंचमी को मनाया जाता है, जो इस वर्ष 29 जुलाई को है। नाग पंचमी पर सांपों को नुकसान पहुँचाने से बचने का एक महत्वपूर्ण संदेश है। इस दिन नागों और सर्पों के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए विशेष पूजा की जाती है।इस त्यौहार की जड़ें हमारे पूर्वजों की परंपराओं में हैं, जिन्होंने सांपों के बारे में जानने के लिए गाँव से बाहर जाकर उन्हें खोजा। यह पूजा न केवल सांपों के प्रति सम्मान प्रकट करती है, बल्कि यह हमें प्रकृति के प्रति जागरूक भी करती है।
किसान की एक कहानी में, जब उसके हल ने एक सर्प के बिल को कुचल दिया, तो सर्पिणी ने क्रोधित होकर किसान को डस लिया। लेकिन उसकी पुत्री की भक्ति ने सर्पिणी का क्रोध शांत कर दिया। इस प्रकार की कहानियाँ हमें सिखाती हैं कि हमें हर जीव का सम्मान करना चाहिए।
नाग पंचमी पर सांपों को काटना या नुकसान पहुँचाना वर्जित है। इस दिन विशेष व्यंजन जैसे मोदक और पूरनपोली बनाकर चढ़ाए जाते हैं। यह त्यौहार हमें यह भी याद दिलाता है कि हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य में रहना चाहिए।
सांपों की पूजा के दौरान, दूध और दूर्वा चढ़ाकर उनकी आराधना की जाती है। इस दिन सांपों के प्रति हमारी कृतज्ञता प्रकट करने का एक अवसर होता है।
इसके अलावा, महेर्वाशिनी और ससुर्वाशिनी जैसे खेल भी खेले जाते हैं, जो इस दिन की खुशियों को और बढ़ाते हैं।
परेल स्थित हाफकिन संस्थान में सांपों के दर्शन और उनके विष से दवाइयाँ बनाने की प्रक्रिया को समझने का अवसर मिलता है। यह एक अद्भुत अनुभव है, जहाँ हम सांपों के बारे में और अधिक जान सकते हैं।