निर्जला एकादशी 2025: पूजा विधि और महत्व

निर्जला एकादशी का महत्व
आज, 06 जून 2025 को, निर्जला एकादशी का व्रत मनाया जा रहा है, जिसे भीमसेन एकादशी भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है, जो भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा विधि-विधान से करते हैं। एकादशी के दिन व्रति लोग श्रीहरि के नाम का जाप करते हैं और उनके मंत्रों का उच्चारण करते हैं।
तिथि और मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 06 जून की रात 02:15 बजे से शुरू होगी और 07 जून की सुबह 04:47 बजे समाप्त होगी। इस दिन सुबह 05:23 से 06:34 बजे तक रवि योग रहेगा, इसके बाद 11:52 से 12:48 बजे तक अभिजीत मुहूर्त का समय होगा।
पूजन विधि
इस दिन भक्तों को सुबह जल्दी स्नान करके सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए। इसके बाद पूजा स्थल पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें। हाथ में अक्षत और फूल लेकर व्रत का संकल्प लें और इसे भगवान को अर्पित करें। फिर श्रीहरि को जल, फूल, माला, पीला चंदन और अक्षत अर्पित करें। घी का दीपक जलाकर विष्णु मंत्र, विष्णु चालीसा और एकादशी व्रत कथा का पाठ करें। अंत में भगवान को तुलसी दल मिलाकर भोग लगाएं और आरती करें। अगले दिन शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करें।
श्री विष्णु मंत्र
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।
ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
ॐ विष्णवे नम:
ॐ हूं विष्णवे नम:
ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।