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पंजाब में बाढ़ का कहर: किसानों की जिंदगी में आई भारी तबाही

पंजाब में हालिया बाढ़ ने किसानों की जिंदगी को बुरी तरह प्रभावित किया है। 70 वर्षीय मिल्खी राम जैसे कई लोग सब कुछ खो चुके हैं। बाढ़ ने खेतों को जलमग्न कर दिया है और कई परिवार बेघर हो गए हैं। राहत कार्य जारी हैं, लेकिन असली चुनौती अब प्रभावित लोगों की जिंदगी को फिर से पटरी पर लाना है। जानें इस बाढ़ के कारण और इसके प्रभावों के बारे में विस्तार से।
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पंजाब में बाढ़ का कहर: किसानों की जिंदगी में आई भारी तबाही

पंजाब बाढ़ 2025: एक नई चुनौती

पंजाब बाढ़ 2025: 70 वर्षीय मिल्खी राम के लिए यह जीवन की लड़ाई कोई नई बात नहीं है। 1988 में आई भयंकर बाढ़ ने उनकी दृष्टि छीन ली थी। कठिनाइयों के बावजूद वे जीते रहे, लेकिन हालिया बाढ़ ने उन्हें सब कुछ खोने पर मजबूर कर दिया। उनके सात एकड़ खेत और घर बह गए, जिससे उनकी चीखें पूरे गांव में निराशा की गूंज बन गईं। उनका आठ सदस्यीय परिवार दस दिनों तक फंसा रहा, और अंततः राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) ने उन्हें सुरक्षित निकाला।


किसानों की टूटती उम्मीदें

किसानों की टूटती उम्मीदें

सतलुज नदी की बाढ़ ने पंजाब के गांवों में कृषि को पूरी तरह से तबाह कर दिया है। फिरोजपुर के गट्टी राजोके गांव के किसान तरसेम अब खुद को बेबस महसूस कर रहे हैं। बाढ़ ने उन्हें बेघर कर दिया, खेत जलमग्न हो गए और उनका कर्ज तीन लाख तक पहुंच गया। रिश्तेदारों द्वारा दिए गए तिरपाल के तंबू में रहते हुए वे कहते हैं कि उनका भूत, वर्तमान और भविष्य सब नष्ट हो गया है।


खंडहर में जीते परिवार

खंडहर में जीते परिवार

इसी गांव की 70 वर्षीय प्यारो अपने बेटे और छह अन्य परिजनों के साथ आधे टूटे-फूटे घर में रह रही हैं। छत से लगातार पानी टपकता है और घर गिरने का डर हर पल बना रहता है। बच्चों की सुरक्षा को लेकर बहू ने उन्हें रिश्तेदारों के यहां भेज दिया है। वहीं, ज़मींदार रंजीत कौर पड़ोसी की दुकान में शरण ले चुकी हैं और कहती हैं कि बारिश ने सब कुछ तबाह कर दिया।


विकलांगों और बच्चों की पीड़ा

विकलांगों और बच्चों की पीड़ा

गांव की सुनीता के लिए हालात और कठिन हैं। उसे अपने विकलांग बेटे रोहित को हर जरूरत पर गोद में उठाना पड़ता है। स्वास्थ्य सेवाएं ठप होने से उसका दर्द और बढ़ गया है। रोहित बार-बार कहता है, "जब मां मुझे उठाती है, तो बहुत दर्द होता है।" रुक्नेवाला गांव में भी परिवार दस दिनों तक बचाव टीम का इंतजार करते रहे। अब वे अस्थायी तंबुओं में रह रहे हैं। बच्चों ने दवा और सुरक्षा जैसी साधारण चीजों की गुहार लगाई है।


खेती और रोजगार पर प्रहार

खेती और रोजगार पर प्रहार

हबीब गांव में किसानों पर सबसे गहरा असर पड़ा है। शिंगारा सिंह का कहना है कि उनकी 80 एकड़ की फसल डूब जाने से उन्हें लगभग 60 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। कश्मीर कौर घर छोड़ने की पीड़ा को शब्दों में बयां नहीं कर पातीं, "दिल घर छोड़ने को तैयार नहीं था, लेकिन सब कुछ पीछे छोड़ना पड़ा।" फाजिल्का के कनवा वाली गांव में हालात इतने बिगड़े कि 20 गांवों का संपर्क पूरी तरह कट गया। शेर सिंह जैसे किसान न्यूनतम साधनों पर गुज़ारा कर रहे हैं। त्वचा संक्रमण, मवेशियों और सामान की सुरक्षा उनकी नई चुनौतियां हैं।


तबाही का व्यापक असर

तबाही का व्यापक असर

पंजाब के 23 जिलों में बाढ़ ने कहर बरपाया है। अब तक 43 लोगों की मौत हो चुकी है और 3.84 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। कृषि तबाही का दायरा 1.71 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है। एनडीआरएफ, सेना, नौसेना और वायुसेना की 31 टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं। हजारों लोग अस्थायी आश्रयों में जिंदगी बिता रहे हैं। लेकिन असली चुनौती अब उनकी टूटी ज़िंदगियों और रोज़गार को फिर से पटरी पर लाने की है।