परिवर्तिनी एकादशी व्रत: पारण का सही समय और विधि

परिवर्तिनी एकादशी का महत्व
परिवर्तिनी एकादशी पारण समय, चंडीगढ़: हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसका विशेष महत्व है। यह व्रत तभी पूर्ण माना जाता है जब इसे सही विधि और नियमों के अनुसार किया जाए। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की परिवर्तिनी एकादशी का व्रत इस वर्ष 3 सितंबर 2025, बुधवार को रखा जा रहा है। इस व्रत का पारण, यानी व्रत तोड़ने की प्रक्रिया, अगले दिन की जाती है। आइए जानते हैं पारण का सही समय, विधि और शुभ मुहूर्त।
परिवर्तिनी एकादशी व्रत का पारण कब करें?
परिवर्तिनी एकादशी का व्रत पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना आवश्यक है। यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाती है, तो पारण सूर्योदय के बाद किया जाता है। इस साल व्रत का पारण 4 सितंबर, गुरुवार को होगा। पारण का समय दोपहर 1:36 बजे से शाम 4:07 बजे तक रहेगा। इस दिन हरि वासर सुबह 10:18 बजे तक समाप्त हो जाएगा। सुबह का समय पारण के लिए सबसे उत्तम माना जाता है, लेकिन यदि कोई सुबह पारण नहीं कर पाता है, तो वह दोपहर के बाद भी ऐसा कर सकता है।
परिवर्तिनी एकादशी व्रत पारण की विधि
व्रत पारण की प्रक्रिया को सही तरीके से करना आवश्यक है। द्वादशी तिथि को सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें। पूजा स्थल पर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें और उनके सामने दीपक जलाएं। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और भगवान को तुलसी पत्र, फूल और सात्विक भोग अर्पित करें। “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें। सात्विक भोजन जैसे खिचड़ी, दाल, साबूदाना खिचड़ी या दही-चावल भगवान को चढ़ाएं। शुभ मुहूर्त में भोजन अर्पित करें और मन में भक्ति भाव रखते हुए भगवान विष्णु से व्रत की पूर्णता के लिए प्रार्थना करें। इसके बाद जरूरतमंदों को अन्न का दान करें।
महत्वपूर्ण नोट
नोट: यह जानकारी ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है। इसकी पुष्टि नहीं की जाती है।