पितृ पक्ष: अकाल मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति के लिए तर्पण विधि

पितरों का तर्पण: दुखों का नाश
पितरों का तर्पण करने से दुखों का होता है नाश
आश्विन मास का कृष्ण पक्ष पितरों के लिए समर्पित होता है। इस समय श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान का आयोजन किया जाता है। पितरों का तर्पण करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और व्यक्ति पर पितरों की कृपा बनी रहती है। इस दौरान श्रद्धा और आर्थिक स्थिति के अनुसार दान करना आवश्यक है। पितरों का तर्पण करने से दुखों का नाश होता है।
पितृपक्ष में विशेष तर्पण का महत्व
कभी-कभी परिवार में कोई सदस्य अचानक इस दुनिया से चला जाता है या बहुत छोटी उम्र में उसकी मृत्यु हो जाती है। ऐसे मामलों में सही विधि से तर्पण नहीं हो पाता। इसका असर पूरे परिवार पर पड़ता है, जैसे स्वास्थ्य समस्याएं, रिश्तों में तनाव या आर्थिक हानि। इसे पितृ दोष कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दोष से मुक्ति पाने का सबसे शुभ समय पितृ पक्ष है। यदि किसी परिजन की आकस्मिक मृत्यु हुई हो, तो उनके लिए पितृ पक्ष में विशेष तर्पण करना अत्यंत आवश्यक है।
पितृ पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर तर्पण
मान्यता है कि जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो, उनके लिए पितृ पक्ष की चतुर्दशी तिथि को तर्पण करना चाहिए। यह विधि परिवार को अचानक आने वाली बाधाओं से बचाती है। इस समय उन आत्माओं का भी सम्मान करना आवश्यक है, जो केवल आदर और स्मरण की अपेक्षा रखती हैं। इसलिए उनके लिए तर्पण और दान-पुण्य अवश्य करना चाहिए।
तर्पण करने की विधि
- पितरों का तर्पण श्रद्धा और नियमपूर्वक करना विशेष माना जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि यह विधि परिवार को आकस्मिक संकट, रोग और अशांति से मुक्ति दिलाती है।
- सुबह स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें और दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों का स्मरण करें।
- तर्पण के लिए तिल, कुश, अक्षत और जल का प्रयोग करें।
- जल में तिल और कुश डालकर तीन बार अर्घ्य दें और प्रार्थना करें कि पितर इस अर्पण को स्वीकार करें।
- पितृ पक्ष की चतुर्दशी को विशेष रूप से उनके नाम से सादा भोजन तैयार करें।
- यह भोजन ब्राह्मणों को दान करें। यदि ब्राह्मण उपलब्ध न हों तो गाय, कौवे, कुत्ते या जरूरतमंदों को भोजन कराना भी पुण्यकारी माना गया है।
- दान के रूप में वस्त्र, अन्न, तिल और दक्षिणा अर्पित करें।
घर में शांति बनाए रखने के उपाय
इस प्रकार किए गए तर्पण से उन पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, जिनका जीवन असमय समाप्त हुआ हो। इस विधि से तर्पण करने पर परिवार पर छाए आकस्मिक संकट दूर होते हैं और घर में शांति और सद्भाव का वातावरण स्थापित होता है।