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पितृ पक्ष: खरीदारी का शुभ समय और पितरों का आशीर्वाद

पितृ पक्ष, जो 7 से 21 सितंबर तक चलता है, अपने पूर्वजों को याद करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए समर्पित है। इस दौरान की गई खरीदारी को शुभ माना जाता है, खासकर जब यह दो ग्रहणों के बीच हो। ज्योतिषियों का कहना है कि इस समय पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए नई चीजें खरीदना लाभकारी है। जानें कैसे पितृ पक्ष में खरीदारी से सुख और समृद्धि बढ़ती है और इसे अशुभ मानने की धारणा गलत है।
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पितृ पक्ष: खरीदारी का शुभ समय और पितरों का आशीर्वाद

पितृ पक्ष का महत्व

पितृ पक्ष (Pitru Paksha)। 7 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है और यह 21 सितंबर तक चलेगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह समय अपने पूर्वजों को याद करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए समर्पित है। इस अवधि में श्रद्धा और पिंडदान के माध्यम से पितरों को तर्पण किया जाता है, ताकि उनकी आत्मा को तृप्ति मिले। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इन 15 दिनों में पितर धरती पर आते हैं और अपने वंशजों का हाल-चाल लेते हैं। हालांकि, पितृ पक्ष को लेकर एक गलत धारणा है कि यह समय अशुभ होता है और इस दौरान नई चीजें खरीदने से पितर नाराज होते हैं। ज्योतिषियों का कहना है कि यह धारणा गलत है, क्योंकि शास्त्रों में ऐसा कोई नियम नहीं है।


विशेष ग्रहणों के बीच का पितृ पक्ष

दो ग्रहणों के बीच खास पितृ पक्ष


इस बार का पितृ पक्ष विशेष है, क्योंकि यह पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण से शुरू होकर अमावस्या पर सूर्यग्रहण के साथ समाप्त होगा। आचार्य रामचंद्र शर्मा के अनुसार, यह 102 वर्षों में सबसे महत्वपूर्ण पितृ पक्ष है, क्योंकि यह दो ग्रहणों के बीच आ रहा है। इस दौरान की गई खरीदारी को स्थायी और शुभ माना जा रहा है। कुछ लोग मानते हैं कि पितृ पक्ष में खरीदी गई चीजें प्रेत का हिस्सा बनती हैं, लेकिन शास्त्रों में इसका कोई उल्लेख नहीं है।


खरीदारी का लाभ

खरीदारी से दोष नहीं, सुख मिलता है


पितृ पक्ष में व्यापारी कई आकर्षक ऑफर पेश करते हैं। ज्योतिषी बताते हैं कि इन ऑफरों का लाभ उठाने में कोई बुराई नहीं है। श्री मातंगी वैदिक ज्योतिष केंद्र के पं. अजय कृष्ण शंकर व्यास का कहना है कि शुभ मुहूर्त में की गई खरीदारी से कोई दोष नहीं लगता, बल्कि सुख और समृद्धि बढ़ती है। इस दौरान स्वर्ण, वाहन, संपत्ति, व्यवसाय या होटल जैसी चीजों का पंजीकरण करवाना शुभ है। पितरों की कृपा से यह समय और भी खास हो जाता है।


पितृ पक्ष का सकारात्मक दृष्टिकोण

पितृ पक्ष अशुभ नहीं, खुशियां बांटता है


पितृ पक्ष को अशुभ मानना गलत है, क्योंकि यह गणेश चतुर्थी और नवरात्रि के बीच आता है। शास्त्रों के अनुसार, किसी भी शुभ कार्य से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है, तो फिर पितृ पक्ष को अशुभ कैसे माना जा सकता है? ज्योतिषियों का कहना है कि इस दौरान पितर धरती पर आकर अपनी संतानों की खुशहाली देखते हैं। यदि संतान नई चीजें खरीदती है, तो पितरों को खुशी होती है, क्योंकि यह उनकी संतानों की समृद्धि का प्रतीक है। बस इतना ध्यान रखें कि नई खरीदारी के साथ-साथ पितरों का सम्मान और तर्पण करना न भूलें। ऐसा करने से पितृ पक्ष में खरीदारी शुभ और फलदायी होगी।