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पितृपक्ष में श्राद्ध भोज के लिए आवश्यक नियम और सामग्री

पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध भोज का विशेष महत्व होता है। इस अवधि में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए कई नियमों का पालन करना आवश्यक है। जानें कि श्राद्ध भोज में क्या होना चाहिए और क्या नहीं, साथ ही महत्वपूर्ण नियमों के बारे में भी जानकारी प्राप्त करें। यह लेख आपको पितृपक्ष के दौरान सही तरीके से श्राद्ध भोज तैयार करने में मदद करेगा।
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पितृपक्ष का महत्व और श्राद्ध भोज

Kaalchakra Today 16 September 2025: सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए पितृपक्ष का हर दिन विशेष महत्व रखता है। यह अवधि कुल 15 दिनों की होती है, जिसमें पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पूजा की जाती है और उन्हें उनके पसंदीदा भोजन का भोग अर्पित किया जाता है। हालांकि, श्राद्ध के भोजन को तैयार करने से लेकर अर्पित करने तक कई नियमों का पालन करना आवश्यक है। यदि इनमें से कोई भी नियम नहीं माना जाता है, तो यह पाप का कारण बन सकता है और पूजा भी सफल नहीं होती।


श्राद्ध भोज में क्या होना चाहिए और क्या नहीं?

श्राद्ध के खाने में क्या होना चाहिए और क्या नहीं?



  • खीर को हविष्य अन्न माना जाता है, जिसे अग्नि में अर्पित करने से देवता और पितृ प्रसन्न होते हैं। पितरों के भोजन में गाय के दूध से बनी खीर अवश्य होनी चाहिए।

  • पितृपक्ष के भोजन में सात्विकता बढ़ाने के लिए सेंधा नमक का उपयोग करें, जो आयुर्वेद में सबसे शुद्ध माना जाता है।

  • श्राद्ध में लहसुन और प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये तामसिक होते हैं।

  • जौ, मटर और सरसों का उपयोग श्राद्ध के भोजन में श्रेष्ठ माना जाता है।

  • तिल का प्रयोग भी श्राद्ध में किया जा सकता है, क्योंकि यह पिशाचों से रक्षा करता है।

  • बैंगन, अरबी, काली सरसों और खराब अन्न का उपयोग नहीं करना चाहिए।

  • तोरई, लौकी, सीताफल, भिंडी, आलू और कच्चे केले की सब्जी बनाई जा सकती है।


श्राद्ध भोज से जुड़े महत्वपूर्ण नियम

श्राद्ध के खाने से जुड़े जरूरी नियम



  • श्राद्ध में बनने वाला खाना पितरों की पसंद का होना चाहिए।

  • खाना बनाते समय मुख दक्षिण दिशा की ओर नहीं होना चाहिए।

  • श्राद्ध में पत्तल का उपयोग शुभ माना जाता है।

  • भोजन बनाते समय चप्पल नहीं पहननी चाहिए।


यदि आप श्राद्ध के खाने से जुड़े और नियम जानना चाहते हैं, तो ऊपर दिए गए वीडियो को देख सकते हैं।