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पिरान कलियर उर्स 2025: आध्यात्मिकता का अद्भुत मेला

पिरान कलियर शरीफ का उर्स 2025 में 5 से 8 सितंबर तक आयोजित होगा, जिसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होंगे। यह आयोजन सूफी संत साबिर पाक की याद में मनाया जाता है और इसमें आध्यात्मिकता, भाईचारा और प्रेम का संदेश होता है। जानें इस अद्भुत मेले की विशेषताएँ और महत्व।
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पिरान कलियर उर्स 2025: आध्यात्मिकता का अद्भुत मेला

पिरान कलियर शरीफ का महत्व

उत्तराखंड के हरिद्वार में स्थित पिरान कलियर शरीफ दरगाह, सूफी प्रेमियों के लिए एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक स्थल है। यहां हजरत अलाउद्दीन अली अहमद साबिर कलियरी रहमतुल्लाह अलैह की पवित्र दरगाह है, जिन्हें आमतौर पर साबिर पाक के नाम से जाना जाता है। हर साल इस दरगाह पर साबिर पाक का वार्षिक उर्स धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष, 757वां उर्स 5 से 8 सितंबर 2025 तक आयोजित किया जाएगा। रुड़की के निकट कलियर शरीफ में होने वाला यह उर्स एक विशाल आध्यात्मिक मेला है, जिसमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं।


उर्स की परिभाषा

इस्लाम और सूफी परंपरा में, उर्स उस दिन को संदर्भित करता है जब कोई सूफी संत इस दुनिया से अल्लाह के पास चले जाते हैं। इसे उनकी पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है, लेकिन गम के बजाय खुशी और प्रेम के साथ, क्योंकि सूफी इसे अल्लाह से मिलन का दिन मानते हैं। पिरान कलियर का उर्स इसी परंपरा का हिस्सा है, जो साबिर पाक की याद में मनाया जाता है।


उर्स का आयोजन

साबिर पाक का उर्स इस्लामी कैलेंडर के रबी-उल-अव्वल महीने की 13, 14 और 15 तारीख को मनाया जाता है। इस दौरान भारत के विभिन्न हिस्सों से और पाकिस्तान, बांग्लादेश, अरब देशों से भी श्रद्धालु यहां आते हैं। उर्स की शुरुआत झंडा फहराने और मेंहदी डोरी की रस्म से होती है। चांद दिखने के बाद उर्स का आधिकारिक आरंभ होता है। यह आयोजन आध्यात्मिकता और भाईचारे का अनूठा संगम है।


उर्स की विशेषताएँ

उर्स के दौरान पिरान कलियर शरीफ दरगाह को फूलों और रोशनी से सजाया जाता है। यहां कव्वालियां, नातें और सूफी कलाम प्रस्तुत किए जाते हैं, जो प्रेम, मानवता और शांति का संदेश देते हैं। श्रद्धालु चादर, गुलाब के फूल और अगरबत्ती चढ़ाते हैं। दरगाह पर लंगर का आयोजन भी होता है, जहां सभी धर्मों के लोग एक साथ बैठकर भोजन करते हैं। मेंहदी डोरी और झंडा फहराने की रस्में इस उर्स को और भी खास बनाती हैं।


साबिर पाक का आध्यात्मिक महत्व

साबिर पाक चिश्ती सिलसिले के एक महान सूफी संत थे। उनका जीवन सादगी, धैर्य और मानव सेवा में व्यतीत हुआ। यही कारण है कि उन्हें साबिर पाक कहा जाता है। उनकी दरगाह पर आने वाला हर व्यक्ति आज भी शांति और दुआओं की स्वीकार्यता का अनुभव करता है। पिरान कलियर का उर्स केवल मुसलमानों का नहीं है, बल्कि हिंदू, सिख और अन्य धर्मों के लोग भी इसमें श्रद्धा से भाग लेते हैं। यह स्थान गंगा-जमुनी तहजीब का जीवंत उदाहरण है।