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पुरी के जगन्नाथ मंदिर में सोना बेशा उत्सव का भव्य आयोजन

पुरी के जगन्नाथ मंदिर में सोना बेशा उत्सव का आयोजन हो रहा है, जिसमें लाखों भक्त भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के स्वर्णिम श्रृंगार के दर्शन के लिए उमड़ पड़े हैं। यह उत्सव आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है और भक्तों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव होता है। प्रशासन ने सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं। जानें इस धार्मिक उत्सव की विशेषताएँ और ओडिशा की सांस्कृतिक विरासत के बारे में।
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पुरी के जगन्नाथ मंदिर में सोना बेशा उत्सव का भव्य आयोजन

सोना बेशा उत्सव का महत्व

ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के 'सोना बेशा' (स्वर्णिम श्रृंगार) के दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ जुटी है। यह विशेष उत्सव आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो 'बहुदा यात्रा' (वापसी यात्रा) के बाद आता है। इस अवसर पर लाखों श्रद्धालु अपने आराध्य देवताओं को उनके भव्य और स्वर्णिम रूप में देखने के लिए दूर-दूर से पुरी पहुंचे हैं।


मंदिर के आसपास का क्षेत्र भक्तों से भरा हुआ है, जो इस दुर्लभ और शुभ दर्शन के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। भक्तों की इतनी बड़ी संख्या को देखते हुए, प्रशासन ने व्यापक व्यवस्थाएं की हैं। पुलिस और मंदिर प्रशासन ने मिलकर भीड़ को नियंत्रित करने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए कड़े सुरक्षा इंतज़ाम किए हैं।


भगवान को लगभग 208 किलोग्राम सोने के आभूषणों से सजाया गया है, जिससे उनकी शोभा अद्वितीय हो गई है। यह दर्शन भक्तों के लिए एक अविस्मरणीय और भावनात्मक अनुभव होता है। यह उत्सव केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि ओडिशा की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक भी है। हर साल लाखों लोग इस दिव्य अनुभव का हिस्सा बनने के लिए पुरी आते हैं। सोना बेशा भगवान जगन्नाथ की महिमा और भक्तों की अटूट श्रद्धा का अद्भुत प्रदर्शन है।