प्रधानमंत्री मोदी के 75वें जन्मदिन पर उपहारों की ई-नीलामी शुरू

प्रधानमंत्री मोदी का जन्मदिन और उपहारों की नीलामी
PM मोदी का 75वां जन्मदिन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में 1,300 से अधिक उपहारों की ई-नीलामी मंगलवार से आरंभ हो गई है। यह नीलामी एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर आयोजित की जा रही है। इसका सातवां संस्करण 17 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर तक चलेगा। संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने राष्ट्रीय आधुनिक कला दीर्घा में इस नीलामी की घोषणा की, जहां प्रधानमंत्री को प्राप्त उपहारों की प्रदर्शनी भी लगाई गई है, जिसे लोग देख सकते हैं और ई-नीलामी के माध्यम से खरीद सकते हैं।
इस बार की नीलामी में देवी भवानी की प्रतिमा और अयोध्या के राम मंदिर का मॉडल प्रमुख आकर्षण हैं। पीएम मेमेंटोज वेबसाइट के अनुसार, देवी भवानी की प्रतिमा की शुरुआती कीमत 1.03 करोड़ रुपये है, जबकि राम मंदिर का मॉडल 5.5 लाख रुपये से शुरू होगा। इसके अतिरिक्त, शीर्ष पांच वस्तुओं में 2024 पैरालंपिक पदक विजेताओं द्वारा पहने गए तीन जोड़ी जूते भी शामिल हैं, जिनकी शुरुआती कीमत 7.7 लाख रुपये प्रति जोड़ी है।
संघर्ष और उत्कृष्टता का प्रतीक
नीलामी में जम्मू-कश्मीर का पश्मीना शॉल, राम दरबार की तंजावुर पेंटिंग, धातु की नटराज प्रतिमा, गुजरात की रोगन आर्ट और नागालैंड का हस्तनिर्मित शॉल भी शामिल हैं। खास बात यह है कि इस बार नीलामी में पैरालंपिक खिलाड़ियों के खेल स्मृति चिह्न भी शामिल किए गए हैं, जिन्हें संघर्ष और उत्कृष्टता का प्रतीक माना गया है। यह नीलामी 2019 से अब तक प्रधानमंत्री को मिले उपहारों की नीलामी का सातवां संस्करण है, जिससे 50 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जुटाई जा चुकी है। यह राशि 'नमामि गंगे' परियोजना में उपयोग की गई है, जिसका उद्देश्य गंगा नदी की सफाई और संरक्षण है।
गंगा की निर्मलता और संरक्षण में योगदान
संस्कृति मंत्रालय के अनुसार, यह ई-नीलामी न केवल ऐतिहासिक वस्तुओं को प्राप्त करने का अवसर प्रदान करती है, बल्कि गंगा की निर्मलता और संरक्षण में योगदान करने का भी मौका देती है। प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन के अवसर पर आयोजित यह नीलामी उपहारों का सम्मान करने के साथ-साथ जनता को राष्ट्रीय धरोहर का हिस्सा बनने का अवसर भी देती है। इस आयोजन को लेकर लोगों में उत्साह देखा जा रहा है, और कई लोग मानते हैं कि प्रधानमंत्री को मिले उपहार केवल व्यक्तिगत स्मृति चिह्न नहीं हैं, बल्कि वे देश की सांस्कृतिक और सामाजिक विविधता के प्रतीक हैं।