बरगद के पेड़ की पूजा के लाभ और महत्व
बरगद के पेड़ का धार्मिक महत्व
सनातन धर्म में बरगद के पेड़ को अत्यंत पवित्र और पूजनीय माना जाता है। इसे अक्षय वट कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि यह कभी नष्ट नहीं होता। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस वृक्ष में त्रिदेव का वास होता है: ब्रह्मा जड़ में, भगवान विष्णु तने में, और भगवान शिव शाखाओं में। इसलिए, इसे पूजा का विशेष स्थान प्राप्त है। प्रतिदिन इसकी पूजा और जल अर्पित करने से त्रिदेवों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। वट सावित्री व्रत की परंपरा भी इसी से जुड़ी हुई है, जिसमें महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य के लिए इस वृक्ष की पूजा करती हैं।
बरगद के पेड़ में जल चढ़ाने के लाभ
1. राहु और केतु का प्रभाव: बरगद के पेड़ का संबंध राहु और केतु जैसे छाया ग्रहों से भी है। नियमित जल चढ़ाने से इन ग्रहों के अशुभ प्रभाव कम होते हैं और जीवन में आने वाली बाधाएं घटती हैं।
2. शनिदेव का आशीर्वाद: शनिदेव न्यायप्रिय देवता हैं और बरगद का पेड़ स्थिरता और लंबी आयु का प्रतीक है। जल चढ़ाने से शनि दोष की पीड़ा कम होती है और कार्यों में स्थिरता आती है।
3. पितरों का आशीर्वाद: बरगद का पेड़ पितरों से जुड़ा होता है। इसे जल अर्पित करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है और पितृदोष भी शांत होता है। यदि धन, संतान या विवाह में रुकावट आ रही है, तो इसे जल देना लाभकारी हो सकता है।
4. देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद: धार्मिक मान्यता के अनुसार, बरगद की पूजा से देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह वृक्ष जीवन में स्थिरता और दीर्घायु का प्रतीक है, जिससे धन-संपत्ति में स्थिरता आती है।
5. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य: प्रतिदिन जल चढ़ाने से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह मन को शांति और आत्मविश्वास प्रदान करता है।
