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बुढ़वा मंगल 2025: हनुमान जी की पूजा का विशेष दिन

बुढ़वा मंगल 2025, जो 2 सितंबर को मनाया जाएगा, भगवान हनुमान के वृद्ध स्वरूप की पूजा का विशेष दिन है। इस दिन को उत्तर भारत में बड़े श्रद्धा के साथ मनाया जाता है, खासकर उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में। मान्यता है कि इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और भक्तों को बल और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। जानें इस पर्व की पौराणिक कथा और पूजन विधि के बारे में।
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बुढ़वा मंगल 2025: हनुमान जी की पूजा का विशेष दिन

बुढ़वा मंगल 2025 का महत्व

बुढ़वा मंगल 2025: भाद्रपद माह का अंतिम मंगलवार 2 सितंबर 2025 को मनाया जाएगा। उत्तर भारत के विभिन्न क्षेत्रों में इसे बुढ़वा मंगल के रूप में बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाने की परंपरा है। यह पर्व भगवान हनुमान के वृद्ध स्वरूप को समर्पित है, जिसे बूढ़े मंगल या बड़े मंगल के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान हनुमान ने महाबली भीम के घमंड को तोड़ा था, इसलिए यह दिन विशेष महत्व रखता है। इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और जीवन की बाधाएं समाप्त होती हैं।


बुढ़वा मंगल का विशेष महत्व

क्यों है बुढ़वा मंगल खास?


बुढ़वा मंगल भाद्रपद माह के अंतिम मंगलवार को मनाया जाता है। इस दिन भक्त हनुमान जी के वृद्ध स्वरूप की पूजा करते हैं। यह पर्व विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के कानपुर, लखनऊ और वाराणसी जैसे क्षेत्रों में धूमधाम से मनाया जाता है। भक्त इस दिन हनुमान जी की पूजा-अर्चना करते हैं और मंदिरों में भंडारे का आयोजन करते हैं। मान्यता है कि सच्चे मन से हनुमान जी की पूजा करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और भक्तों को बल, बुद्धि और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।


बुढ़वा मंगल की पौराणिक कथा

क्या है बुढ़वा मंगल की पौराणिक कथा?


पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत काल में पांडवों के वनवास के दौरान भीम को अपनी शक्ति पर घमंड हो गया था। उनकी ताकत को हजारों हाथियों के बराबर माना जाता था। एक दिन, द्रौपदी के लिए फूल लाने के दौरान भीम ने एक वृद्ध वानर को देखा, जिसकी पूंछ रास्ते में फैली हुई थी। भीम ने घमंड में आकर वानर से अपनी पूंछ हटाने को कहा, लेकिन वानर ने कहा कि वह थक गया है। भीम ने अपनी पूरी ताकत लगाई, लेकिन वह पूंछ को हिला भी नहीं पाए। अंत में, हनुमान जी ने अपने असली स्वरूप में प्रकट होकर भीम को बताया कि वह श्रीराम के भक्त हैं। इस घटना ने भीम को अपनी गलती का अहसास कराया और उनका अहंकार चूर हो गया। यह घटना भाद्रपद माह के अंतिम मंगलवार को हुई थी, जिसके कारण इसे बुढ़वा मंगल के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई।


बुढ़वा मंगल पर पूजन विधि

बुढ़वा मंगल पर ऐसे करें पूजन


इस दिन हनुमान मंदिर जाकर चालीसा, बजरंग बाण और सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। श्रद्धा के अनुसार दान भी करें। हनुमान जी को लाल चोला, चमेली का तेल और बूंदी के लड्डू का भोग लगाना शुभ माना जाता है।


ज्येष्ठ माह में बड़े मंगल

ज्येष्ठ माह में होते हैं बड़े मंगल


बुढ़वा मंगल की परंपरा ज्येष्ठ माह के मंगलवारों से जुड़ी हुई है। ज्येष्ठ माह में इसे बड़ा मंगल कहा जाता है, जो श्रीराम और हनुमान जी के पहले मिलन से संबंधित है। वहीं, भाद्रपद माह का बुढ़वा मंगल विशेष रूप से हनुमान जी द्वारा भीम के घमंड को तोड़ने की कथा से प्रसिद्ध है।