बैकुंठ चतुर्दशी: पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
बैकुंठ चतुर्दशी का महत्व
हिंदू धर्म में बैकुंठ चतुर्दशी का विशेष महत्व है। यह पर्व शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं, इसलिए बैकुंठ चतुर्दशी पर इनकी पूजा की जाती है। आइए जानते हैं इस दिन पूजा कैसे करें और शुभ मुहूर्त क्या है।
बैकुंठ चतुर्दशी 2025 का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, बैकुंठ चतुर्दशी 3 नवंबर, सोमवार को मध्यरात्रि के बाद 2 बजकर 6 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन मंगलवार को रात 11 बजकर 37 मिनट पर होगा। इस बार यह पर्व 4 नवंबर को मनाया जाएगा। पूजा का शुभ समय शाम 5 बजकर 35 मिनट से 7 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। मासिक शिवरात्रि का व्रत करने वालों के लिए 3 नवंबर को व्रत करना अधिक लाभकारी रहेगा।
बैकुंठ चतुर्दशी पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को साफ करके गंगाजल छिड़कें।
- मंदिर में एक चौकी पर लाल या पीले कपड़े बिछाएं और भगवान विष्णु तथा भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- प्रतिमा के सामने एक घी का दीपक जलाएं और व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु को कमल का फूल अर्पित करें और शिवजी को बेलपत्र चढ़ाएं।
- भगवान विष्णु के मंत्र 'ओम श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।' का कम से कम 108 बार जाप करें।
- इसके बाद भगवान शिव के मंत्र 'ओम नमः शिवाय' का जाप करें। बैकुंठ चतुर्दशी की कथा पढ़ें और अंत में आरती करें।
- यदि पूजा में कोई भूल हो गई हो, तो क्षमा मांगें।
- भगवान की पूजा में धूप, दीप, चंदन, इत्र, गाय का दूध, केसर, दही और मिश्री से अभिषेक करना शुभ माना जाता है। मखाने की खीर का भोग भी लगाएं।
सुख समृद्धि बढ़ाने के उपाय
देवीपुराण के अनुसार, इस दिन जौ के आटे की रोटी बनाकर मां पार्वती को भोग लगाना चाहिए। इस रोटी का प्रसाद खाने से घर में सुख और संपत्ति बढ़ती है। इस दिन जौ की रोटी बनाते समय निम्नलिखित मंत्र बोलें:
- ॐ पार्वत्यै नम:
- ॐ गौरयै नम:
- ॐ उमायै नम:
- ॐ शंकरप्रियायै नम:
- ॐ अंबिकायै नम:
