भगवान कृष्ण जन्माष्टमी 2025: पूजा विधि और सामग्री

भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव
भगवान कृष्ण जन्माष्टमी 2025: भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाता है। इस वर्ष, कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी तिथि और नक्षत्र में रात 12 बजे भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। इसलिए, जब यह संयोग बनता है, तब जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाता है। जो लोग जन्माष्टमी के दिन व्रत रखते हैं, वे रात 12 बजे की पूजा के बाद अपना व्रत खोल सकते हैं। वहीं, जो अगले दिन व्रत खोलते हैं, वे 17 अगस्त की सुबह 05:51 के बाद अपना उपवास समाप्त कर सकते हैं।
सात्विक भोजन और व्रत
सात्विक भोजन:
जन्माष्टमी के एक दिन पहले, यानी सप्तमी तिथि को, सात्विक भोजन करना चाहिए और मन को शांत रखना चाहिए। व्रति को पूरे दिन निर्जला या फलाहार उपवास रखना चाहिए। प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा, तंबाकू, अधिक बोलना या विवाद से बचना चाहिए। यह दिन भक्ति और संयम का होता है। सुबह स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें और भगवान श्री कृष्ण के व्रत का संकल्प लें।
पूजा सामग्री
पूजा सामग्री:
झूला या पालना, भगवान कृष्ण की मूर्ति या प्रतिमा, बांसुरी, आभूषण और मुकुट, तुलसी दल, चंदन और अक्षत, माखन और केसर, इलायची और अन्य पूजा सामग्री, कलश और गंगाजल, हल्दी, पान, सुपारी, सिंहासन और वस्त्र (सफेद और लाल), कुमकुम, नारियल, मौली, इत्र, सिक्के, धूप, दीप, अगरबत्ती, फल, कपूर, मोरपंख आदि का उपयोग भगवान कृष्ण की पूजा और श्रृंगार के लिए किया जा सकता है।