भादो पूर्णिमा 2025: चंद्र ग्रहण के साथ व्रत का महत्व और विधि

भादो पूर्णिमा का महत्व और तिथि
भादो पूर्णिमा: सितंबर 2025 में चंद्र ग्रहण के साथ व्रत का महत्व: नई दिल्ली |
यदि आप भादो पूर्णिमा का व्रत रखने की योजना बना रहे हैं, तो यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण है। हिंदू धर्म में पूर्णिमा का व्रत विशेष महत्व रखता है, जिसमें भगवान सत्यनारायण की पूजा की जाती है और सुख-शांति की प्रार्थना की जाती है।
यह व्रत 7 सितंबर 2025, रविवार को मनाया जाएगा। इस बार एक विशेष बात यह है कि इसी दिन चंद्र ग्रहण भी होगा। आइए जानते हैं कि भादो पूर्णिमा का व्रत कब है और क्या चंद्र ग्रहण के दौरान व्रत रखना शुभ होगा।
भादो पूर्णिमा 2025 की तिथि
भादो पूर्णिमा की तिथि
भादो पूर्णिमा की तिथि 7 सितंबर 2025 को सुबह 9:27 बजे से आरंभ होगी और 8 सितंबर 2025 को सुबह 7:30 बजे तक चलेगी। इस दिन रात में पूर्णिमा का चाँद दिखाई देगा, जो इस व्रत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
चंद्र ग्रहण का समय और व्रत के नियम
चंद्र ग्रहण का समय और नियम
7 सितंबर 2025 को भादो पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण भी होगा। यह ग्रहण रात 8:58 बजे से शुरू होगा, रात 11:00 बजे पूर्णता पर पहुंचेगा और 8 सितंबर को तड़के 12:22 बजे समाप्त होगा। सवाल यह है कि क्या चंद्र ग्रहण के दौरान पूर्णिमा का व्रत रखा जा सकता है?
इसका उत्तर है कि आप व्रत रख सकते हैं, लेकिन ग्रहण के समय पूजा-पाठ नहीं करना चाहिए। नोएडा के पंडित पवन कुमार के अनुसार, ग्रहण काल को शास्त्रों में अशुभ माना जाता है, इसलिए इस दौरान पूजा-पाठ वर्जित है।
व्रत और पूजा का सही समय
व्रत और पूजा के लिए सही समय
ग्रहण से पहले सुबह व्रत का संकल्प लें। सूतक काल, जो ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले यानी 7 सितंबर को सुबह 11:58 बजे शुरू होगा, उस दौरान भी पूजा नहीं करनी चाहिए। ग्रहण 8 सितंबर को तड़के 1:26 बजे खत्म होगा।
इसके बाद घर में गंगाजल छिड़ककर शुद्धिकरण करें और फिर भगवान सत्यनारायण की पूजा और व्रत कथा का पाठ करें। इस प्रकार ग्रहण के दौरान व्रत रखना अशुभ नहीं है, बस पूजा ग्रहण खत्म होने के बाद करें।
पूर्णिमा व्रत की विधि
पूर्णिमा व्रत की आसान विधि
पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहनें और व्रत का संकल्प लें। घर या मंदिर में भगवान सत्यनारायण की मूर्ति स्थापित करें।
गंगाजल से शुद्धिकरण के बाद कलश स्थापना करें, दीपक जलाएं और भगवान को रोली, अक्षत, फूल, तुलसी, फल और मिठाई चढ़ाएं। पंचामृत से अभिषेक करें, सत्यनारायण व्रत कथा पढ़ें और आरती करें। इस दिन फलाहार करें और अगले दिन पारण के बाद भोजन करें।