भारतीय हॉकी के दिग्गज डॉ. वेसे पेस का निधन, खेल जगत में शोक की लहर

डॉ. वेसे पेस का निधन

एशिया कप 2025 से पहले भारतीय खेल जगत में एक दुखद घटना घटी है। पूर्व हॉकी खिलाड़ी और ओलंपिक कांस्य पदक विजेता डॉ. वेसे पेस का 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे लंबे समय से उम्र संबंधी बीमारियों और पार्किंसन रोग से जूझ रहे थे।
डॉ. वेसे पेस का खेल में योगदान
भारतीय हॉकी के स्तंभ
डॉ. पेस का जन्म 1945 में गोवा में हुआ था। उन्होंने भारतीय हॉकी टीम में मिडफील्डर के रूप में अपनी पहचान बनाई और 1971 के हॉकी विश्व कप में भारत का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद, वे 1972 के म्यूनिख ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा बने। उनका शांत स्वभाव और रणनीतिक सोच उन्हें विशेष बनाती थी।
खेल चिकित्सा में योगदान
स्पोर्ट्स मेडिसिन में महत्वपूर्ण भूमिका
खेल करियर के बाद, डॉ. पेस ने खेल चिकित्सा के क्षेत्र में कार्य किया। उस समय भारत में स्पोर्ट्स मेडिसिन की शुरुआत हो रही थी, और उन्होंने एथलीटों की चोटों और पुनर्वास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके अनुभव ने भारतीय एथलीटों के लिए अमूल्य साबित हुआ।
BCCI के साथ संबंध
BCCI से गहरा जुड़ाव
डॉ. पेस ने क्रिकेट में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे अक्टूबर 2010 से मार्च 2018 तक BCCI के एंटी-डोपिंग और आयु सत्यापन सलाहकार रहे। इस दौरान, उन्होंने क्रिकेटरों और सहयोगी स्टाफ के लिए शैक्षिक कार्यक्रम शुरू किए, जिससे डोपिंग रोकथाम में मदद मिली। BCCI ने उनके योगदान को याद करते हुए कहा कि उनकी ईमानदारी और खेल के प्रति जुनून ने भारतीय क्रिकेट पर गहरा प्रभाव डाला है।
पारिवारिक पृष्ठभूमि
खेल परिवार का हिस्सा
डॉ. पेस केवल एक खिलाड़ी और चिकित्सक नहीं थे, बल्कि एक खेल परिवार का हिस्सा भी थे। उनकी पत्नी जेनिफर पेस भारतीय महिला बास्केटबॉल टीम की कप्तान रह चुकी हैं, और उनके बेटे लिएंडर पेस भारत के सफलतम टेनिस खिलाड़ियों में से एक हैं।
खेल जगत में शोक
डॉ. पेस के निधन से शोक की लहर
जहां क्रिकेट प्रेमी एशिया कप 2025 का इंतजार कर रहे हैं, वहीं डॉ. पेस के निधन ने खेल जगत को गहरे शोक में डाल दिया है। उनका जाना भारतीय हॉकी, क्रिकेट और पूरे खेल जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है।