महाष्टमी पूजा: मां महागौरी की आराधना और विधि

महाष्टमी का महत्व
शारदीय नवरात्रि का पर्व 22 सितंबर से आरंभ हुआ है, जो नवमी तिथि पर समाप्त होगा। आज, 30 सितंबर को, देवी दुर्गा के आठवें स्वरूप की पूजा की जाती है, जिसे महाष्टमी या दुर्गा अष्टमी कहा जाता है। इस दिन मां महागौरी की विशेष पूजा की जाती है। कई परिवारों में कन्या पूजन भी किया जाता है, जबकि कुछ लोग इसे नवमी तिथि पर करते हैं। आइए जानते हैं मां महागौरी की पूजा विधि, मंत्र, भोग और आरती के बारे में।
महाष्टमी का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष अष्टमी तिथि का आरंभ 29 सितंबर को शाम 4:31 बजे हुआ और इसका समापन 30 सितंबर को शाम 6:06 बजे होगा। इसलिए आज, 30 सितंबर 2025 को इसे मनाया जाएगा।
दुर्गा अष्टमी का पूजन मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त: प्रात: 4:37 से 5:25 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:47 से 12:35 बजे तक
- कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त: सुबह 10:40 से 12:10 बजे तक
मां महागौरी की पूजा विधि
- इस दिन सुबह स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें।
- पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें और मां महागौरी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- घी का दीपक जलाएं और मां को रोली, चंदन, अक्षत, धूप और पीले फूल अर्पित करें।
- नारियल, पूड़ी, काले चने और हलवे का भोग लगाएं।
- दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और मां महागौरी का मंत्र जाप और आरती करें।
मां महागौरी का प्रिय भोग
मां महागौरी को नारियल से बने भोग बहुत पसंद हैं। आप घर पर नारियल के लड्डू या नारियल की बर्फी बनाकर उन्हें भोग लगा सकते हैं।
मां महागौरी की आरती
जय महागौरी जगत की माया।
जय उमा भवानी जय महामाया॥
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहा निवास॥
चंदेर्काली और ममता अम्बे।
जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे॥
भीमा देवी विमला माता।
कोशकी देवी जग विखियाता॥
हिमाचल के घर गोरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
सती 'सत' हवं कुंड मै था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥
बना धर्म सिंह जो सवारी मै आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
तभी मां ने महागौरी नाम पाया।
शरण आने वाले का संकट मिटाया॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
'चमन' बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो॥
मां महागौरी मंत्र
ॐ देवी महागौर्यै नमः
स्तुति मंत्र
श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।