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मुहर्रम 2023: ताजिया निर्माण के नए नियम और बढ़ती लागत की कहानी

मुहर्रम 2023 के अवसर पर ताजिया निर्माण की तैयारियां जोरों पर हैं। इस साल प्रशासन ने ताजिया की ऊंचाई और निर्माण लागत को लेकर नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। जानें ताजिया बनाने की परंपरा, इसकी लागत और सुरक्षा नियमों के बारे में। क्या आप जानते हैं कि ताजिया की ऊंचाई को लेकर क्या नए नियम लागू किए गए हैं? इस लेख में जानें सभी महत्वपूर्ण जानकारी।
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मुहर्रम 2023: ताजिया निर्माण के नए नियम और बढ़ती लागत की कहानी

मुहर्रम का महत्व और ताजिया की परंपरा

मुहर्रम: इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम हर साल इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाया जाता है। इस अवसर पर, गांवों और शहरों में ताजिया बनाकर जुलूस निकाले जाते हैं, जो श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक होते हैं। इस वर्ष, 6 जुलाई को मुहर्रम मनाया जाएगा, और इसकी तैयारियां जोरों पर हैं। प्रशासन ने ताजिया निर्माण की लागत और ऊंचाई को लेकर नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, ताकि सुरक्षा और व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके।


ताजिया की ऊंचाई के लिए नए दिशा-निर्देश

उत्तर प्रदेश में ताजिया की ऊंचाई को लेकर प्रशासन ने सख्त नियम लागू किए हैं। नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, ताजिया की अधिकतम ऊंचाई 10 से 12 फीट तक निर्धारित की गई है। कुछ स्थानों पर 13 से 15 फीट तक की अनुमति है, लेकिन 50 फीट तक ऊंचे ताजियों पर पूर्ण प्रतिबंध है। प्रशासन ने यह भी सुनिश्चित किया है कि जल भराव से निपटने की तैयारी पूरी हो और जुलूस में डीजे की आवाज को कम करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि किसी को असुविधा न हो।


ताजिया निर्माण की लागत

ताजिया बनाने की लागत इसकी डिजाइन, सामग्री और आकार पर निर्भर करती है। सामान्यत: छोटे ताजिए 8,000 से 10,000 रुपये में बनते हैं, जबकि बड़े और भव्य ताजिए, जिनमें महंगी सजावट का उपयोग होता है, उनकी लागत लाखों रुपये तक पहुंच सकती है। पिछले कुछ वर्षों में सामग्रियों की कीमतों में वृद्धि के कारण ताजिया निर्माण का खर्च दोगुना हो गया है।


ताजिया निर्माण की परंपरा

ताजिया, इमाम हुसैन के कर्बला में मकबरे का प्रतीक है, जिसे बांस, लकड़ी, थर्माकोल और रंग-बिरंगे कागजों से बनाया जाता है। यह परंपरा भारत में तैमूर के समय से शुरू हुई थी। आगरा में मुगल काल से फूलों के ताजिए बनाए जाते हैं, जिन्हें अजमेर की चिश्ती दरगाह से मंगाए गए गुलाबों से सजाया जाता है। ताजिया कमेटी से जुड़े समी आगाई ने बताया कि ताजिए के उठने के बाद शहर के अन्य ताजिए भी उठाए जाते हैं और कर्बला की तरफ रवाना होते हैं।