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यम का दीया: 18 अक्टूबर को जलाने के नियम और दिशा

18 अक्टूबर को यम का दीया जलाने की परंपरा का महत्व जानें। इस दिन यमराज की कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष नियमों का पालन किया जाता है। जानें सही तिथि, दिशा और दीया जलाने के नियम, ताकि आप इस अवसर का सही लाभ उठा सकें।
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यम का दीया: 18 अक्टूबर को जलाने के नियम और दिशा

यम देव का आशीर्वाद


यम का दीपक जलाने की परंपरा
दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव के दौरान, धनतेरस पर कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को यम का दीप जलाने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन यमराज की कृपा प्राप्त होती है। इस अवसर पर कुछ विशेष नियमों का पालन किया जाता है, जिसमें यम का दीपक जलाना शामिल है। यह विश्वास है कि यमराज के नाम से दीप जलाने से अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है।


त्रयोदशी तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 18 अक्टूबर को दोपहर 12:18 बजे से शुरू होगी और इसका समापन 19 अक्टूबर को दोपहर 01:51 बजे होगा। इस दिन धनतेरस का त्योहार मनाया जाएगा।


दीप जलाने की सही तिथि

यम का दीपक कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर जलाया जाता है, जो इस वर्ष 18 अक्टूबर को है। सही तिथि जानने के लिए स्थानीय पंचांग का संदर्भ लें।


दीये की दिशा और स्थान

यम का दीया हमेशा दक्षिण दिशा की ओर जलाना चाहिए, क्योंकि यह यमराज की दिशा मानी जाती है। इस दिशा में दीप जलाने से यमराज प्रसन्न होते हैं और सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है।


दीया जलाने के नियम


  • यम का दीया चौमुखी होना चाहिए और इसमें चार बत्तियां लगाई जाती हैं।

  • दीये में सरसों का तेल उपयोग किया जाता है।

  • दीपक जलाने के बाद, इसे घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर रख दिया जाता है।

  • दीप जलाते समय प्रार्थना करें कि परिवार के सभी सदस्यों की आयु लंबी हो और उन्हें सभी कष्टों से मुक्ति मिले।

  • कुक्ष लोग यम का दीपक नाली के पास या अन्य स्थानों पर रखते हैं।

  • इस दीप दान से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है।