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योग के वैश्विक प्रचारक: भारत के महान योग गुरुओं की कहानी

इस लेख में हम उन महान योग गुरुओं की चर्चा करेंगे जिन्होंने योग को केवल भारत तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्वामी विवेकानंद से लेकर बाबा रामदेव तक, इन सभी ने योग को एक नई पहचान दी है। जानें कैसे इन गुरुओं ने योग को विज्ञान और जीवनशैली का हिस्सा बनाया और इसे दुनिया भर में लोकप्रिय किया।
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योग के वैश्विक प्रचारक: भारत के महान योग गुरुओं की कहानी

योग का महत्व और इसके प्रचारक

आज के समय में, लोग योग को अपनाकर मानसिक शांति और शारीरिक स्वास्थ्य की ओर अग्रसर हो रहे हैं। यह सब भारत के उन योग गुरुओं की मेहनत का परिणाम है, जिन्होंने इसे केवल धर्म नहीं, बल्कि विज्ञान और जीवनशैली का हिस्सा बनाया। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 के अवसर पर, आइए जानते हैं उन प्रेरणादायक व्यक्तियों के बारे में, जिन्होंने योग को वैश्विक स्तर पर फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


राज योग का वैश्विक दृष्टिकोण

स्वामी विवेकानंद, जो स्वामी रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे, ने पश्चिमी देशों में भारतीय योग दर्शन को स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने राज योग के माध्यम से महर्षि पतंजलि के योगसूत्रों को आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत किया। उनकी प्रसिद्ध पुस्तक 'राजयोग' आज भी योग प्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। स्वामी विवेकानंद ने योग को केवल शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक और आध्यात्मिक मार्ग के रूप में परिभाषित किया।


आधुनिक योग के जनक

तिरुमलाई कृष्णामाचार्य को आधुनिक योग का पिता माना जाता है। इन्होंने हिमालय की गुफाओं में योग की दीक्षा ली और इसे जीवनभर समर्पित भाव से सिखाया। उनकी पुस्तक 'योग मकरंद' ने पश्चिमी दुनिया को ध्यान और हठ योग की बारीकियों से परिचित कराया। 1888 में जन्मे कृष्णामाचार्य ने वैदिक दर्शन, आयुर्वेद और पतंजलि योगसूत्रों का गहन अध्ययन किया और आधुनिक योग की नींव रखी।


अयंगर योग का नया आयाम

बेल्लूर कृष्णमचारी सुंदरराज अयंगर (बीकेएस अयंगर) ने योग को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई। 1975 में उन्होंने 'योग विद्या' नामक संस्थान की स्थापना की, जो अब दुनियाभर में 100 से अधिक शाखाओं में फैल चुका है। उन्होंने 'अयंगर योग' की पद्धति विकसित की, जिसमें शरीर की मुद्रा (आसन) और नियंत्रित सांसों (प्राणायाम) पर विशेष ध्यान दिया गया।


भावातीत ध्यान का वैश्विक आंदोलन

महर्षि महेश योगी 20वीं सदी के एक प्रमुख ध्यान गुरु थे, जिन्होंने भावातीत ध्यान (Transcendental Meditation) की विधि को प्रस्तुत किया। उनका मानना था कि सरल ध्यान विधियों से हर व्यक्ति मानसिक तनाव से मुक्त हो सकता है। उनकी यह विधि आज अमेरिका, यूरोप और एशिया के लाखों लोगों की जीवनशैली का हिस्सा बन चुकी है।


अन्य योग गुरुओं का योगदान

परमहंस योगानंद: आत्मा की शक्ति और ध्यान पर जोर देते हुए उन्होंने योग को अमेरिका तक पहुंचाया।


स्वामी राम: योग और ध्यान के मिश्रण से लाखों लोगों को साधना से जोड़ा।


पट्टाभि जॉयस: अष्टांग योग के माध्यम से पश्चिमी देशों में युवाओं को योग के प्रति आकर्षित किया।


स्वामी सत्येंद्र सरस्वती: योग को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखने की परंपरा को आगे बढ़ाया।


आचार्य रजनीश (ओशो): ध्यान और ऊर्जा के माध्यम से नई पीढ़ी को योग से जोड़ा।


बाबा रामदेव: वर्तमान में योग को आम आदमी तक पहुंचाने वाले प्रमुख योगगुरु हैं।