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रक्षाबंधन 2025: अयोध्या में भाई-बहन के प्रेम का अनूठा उत्सव

रक्षाबंधन 2025 के अवसर पर अयोध्या में भाई-बहन के प्रेम का अनूठा उत्सव मनाया जा रहा है। यहां मां शांता ने रामलला को राखी भेंट की है, जो सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। इस साल हिंदू और मुस्लिम बहनों ने मिलकर विशेष राखी तैयार की है। राम मंदिर में राखी बांधने की परंपरा भक्तों के बीच उत्साह और श्रद्धा का संचार करती है। जानें इस पवित्र रिश्ते के बारे में और अयोध्या में रक्षाबंधन की धूमधाम के बारे में।
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रक्षाबंधन 2025: अयोध्या में भाई-बहन के प्रेम का अनूठा उत्सव

रक्षाबंधन की धूम

रक्षाबंधन 2025: पूरे देश में रक्षाबंधन का उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। बाजारों से लेकर सड़कों तक, लोग खरीदारी में व्यस्त हैं। बहनें अपने भाइयों के लिए खूबसूरत राखियां चुन रही हैं, जबकि भाई अपनी बहनों के लिए शानदार उपहार खरीदने में लगे हैं। इस बीच, भगवान राम की पवित्र नगरी अयोध्या में भी रक्षाबंधन का खास माहौल है। यहां राम दरबार और राम मंदिर की थीम वाली राखियों की मांग बढ़ गई है। विशेष रूप से, भगवान राम की बहन शांता ने रामलला को राखी भेंट की है, जिसे राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने स्वीकार किया। यह पवित्र राखी आज रात रामलला के मंदिर परिसर में पहुंचेगी और पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त पर पुजारी इसे रामलला को बांधेंगे।


मां शांता का प्राचीन मंदिर

श्रृंगी ऋषि शेरवा घाट पर मां शांता का एक प्राचीन मंदिर स्थित है। यहां हर साल रक्षाबंधन के अवसर पर भगवान रामलला के लिए राखी भेजी जाती है। इस वर्ष भी हिंदू और मुस्लिम बहनों ने मिलकर रामलला के लिए विशेष राखी तैयार की है। यह राखी मां शांता की ओर से अपने भाई रामलला को समर्पित की गई है, जिसमें सामुदायिक एकता और भक्ति की भावना स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। यह राखी आज अयोध्या पहुंच चुकी है और भक्तों ने इसे श्रद्धा के साथ राम मंदिर में भेंट किया है।


तीन दिन का उत्सव

तीन दिन तक चलेगा रक्षाबंधन उत्सव: राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि श्रृंगी ऋषि आश्रम में मां शांता का मंदिर है, जो भगवान राम की बहन हैं। यहां तीन दिनों तक रक्षाबंधन का उत्सव धूमधाम से मनाया गया। 6 अगस्त को राखी पूजन का आयोजन हुआ, जिसके बाद मां शांता की ओर से भगवान राम के लिए राखी अयोध्या भेजी गई। इसे आज स्वीकार किया जाएगा और देर रात इसे रामलला के मंदिर में भेजा जाएगा। इस दौरान 6 अगस्त से शुरू हुए धार्मिक अनुष्ठानों की पूर्णाहुति भी संपन्न हुई।


मां शांता और रामलला का बंधन

मां शांता और रामलला का अटूट बंधन: श्रृंगी ऋषि आश्रम के पीठाधीश्वर हेमंत दास ने कहा कि हर साल मां शांता की ओर से भगवान रामलला को राखी भेजी जाती है। इस बार भी भक्तों ने मां शांता की राखी लेकर रामलला के दरबार में हाजिरी दी। कल पूर्णिमा के शुभ अवसर पर यह राखी रामलला को बांधी जाएगी। यह परंपरा भगवान राम और उनकी बहन शांता के पवित्र रिश्ते को दर्शाती है, जो भाई-बहन के प्रेम और विश्वास का प्रतीक है।


अयोध्या में रक्षाबंधन का उत्सव

अयोध्या में रक्षाबंधन की रौनक: अयोध्या में रक्षाबंधन का यह उत्सव न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का भी प्रतीक है। हिंदू और मुस्लिम बहनों द्वारा बनाई गई राखी इस बात का सबूत है कि प्रेम और भाईचारा किसी भी सीमा को नहीं मानता। राम मंदिर में रामलला को राखी बांधने की यह परंपरा भक्तों के बीच उत्साह और श्रद्धा का संचार करती है।


मां शांता का परिचय

कौन है मां शांता? बहुत कम लोग जानते हैं कि भगवान राम की एक बहन भी थी। जी हां, आपने सही सुना। माता कौशल्या और राजा दशरथ की एक पुत्री थी जिसका नाम शांता था। कौशल्या ने अपनी पुत्री को अपनी बहन वर्षिणी और राजा रोमपद को गोद दिया था।