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रक्षाबंधन: एक धागे से अधिक, यह भावनाओं और कर्तव्यों का उत्सव

रक्षाबंधन का पर्व केवल एक धागा बांधने की परंपरा नहीं है, बल्कि यह भावनाओं, विश्वास और कर्तव्यों का उत्सव है। पलवल में आयोजित एक कार्यक्रम में पुलिसकर्मियों को रक्षा सूत्र बांधकर उनके मंगल जीवन की कामना की गई। इस अवसर पर डीएसपी अनिल कुमार ने इस पर्व की गहराई को समझाया। जानें कैसे भाई-बहन का रिश्ता केवल एक जन्म तक सीमित नहीं है और यह बंधन आने वाली पीढ़ियों के लिए भी अटूट रहेगा।
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रक्षाबंधन: एक धागे से अधिक, यह भावनाओं और कर्तव्यों का उत्सव

रक्षाबंधन समारोह का आयोजन


पलवल में भारत स्काउट्स एंड गाइड्स के सहयोग से पुलिस लाइन स्थित डीएवी पुलिस पब्लिक स्कूल में रक्षाबंधन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य सीमा राजवंशी ने की, जबकि संचालन मीना देवी ने किया। सीमा राजवंशी ने बताया कि यह आयोजन जिला संगठन आयुक्त योगेश सौरोत के मार्गदर्शन में किया गया।


पुलिसकर्मियों को रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा

त्योहारों के दौरान कई बार पुलिसकर्मी अपने कर्तव्यों के कारण घर नहीं जा पाते। इस अवसर पर विद्यालय की स्काउट गाइड की छात्राओं ने डीएसपी अनिल कुमार, पुलिस अधीक्षक रीडर ओमप्रकाश, एएसआई संजय खड़ियान, कांस्टेबल कुलदीप सहित अन्य पुलिसकर्मियों को रक्षा सूत्र बांधकर उनके मंगल जीवन की कामना की।


पुलिसकर्मियों ने भी छात्राओं को शुभकामनाएं दीं। डीएसपी अनिल कुमार ने कहा कि रक्षाबंधन केवल एक धागा बांधने की परंपरा नहीं है, बल्कि यह भावनाओं, विश्वास और कर्तव्यों का उत्सव है। भाई केवल रक्त संबंधी नहीं होता, बल्कि जो भी नारी की रक्षा के लिए खड़ा हो, वही भाई है।


भाई-बहन का रिश्ता जन्मों तक चलता है

सनातन संस्कृति में भाई-बहन का रिश्ता केवल एक जन्म तक सीमित नहीं है। यह बंधन जन्म-जन्मांतर तक चलता है। चाहे वह द्रौपदी द्वारा कृष्ण को बांधा गया रेशम का धागा हो या झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की रक्षा के लिए खड़े हुए साथी—हर युग में यह परंपरा जीवित रही है।


रक्षाबंधन हमें याद दिलाता है कि रिश्तों की असली ताकत विश्वास और त्याग में है, न कि केवल उपहारों में। यदि हम अपने संस्कारों की जड़ों को सींचें, तो भाई-बहन का यह पवित्र बंधन आने वाली पीढ़ियों के लिए भी अटूट रहेगा।