राजा संक्रांति 2025: ओडिशा का अनोखा पर्व और इसकी विशेषताएँ

राजा संक्रांति की शुभकामनाएँ और उत्सव का महत्व
राजा संक्रांति 2025 (Raja Sankranti 2025) का उत्सव ओडिशा में महिलाओं के लिए खुशी और पुरुषों के लिए रसोई की जिम्मेदारी लेकर आता है! यह रंगीन त्योहार फिर से आ रहा है, जो हर साल जून में तीन दिनों तक मनाया जाता है। इसे रजो पर्व (Rajo Festival) के नाम से भी जाना जाता है, जो नारीत्व और धरती माता के प्रति सम्मान का प्रतीक है। इस वर्ष यह पर्व 14 से 16 जून तक धूमधाम से मनाया जाएगा। मान्यता है कि इन तीन दिनों में धरती माता मासिक धर्म से गुजरती हैं, और चौथे दिन उनका शुद्धिकरण स्नान होता है। इस दौरान ओडिशा की महिलाएं काम से छुट्टी लेती हैं, जबकि पुरुष रसोई का कार्य संभालते हैं। आइए, इस विशेष पर्व की परंपराओं और शुभकामनाओं के बारे में जानें!
राजा संक्रांति पर शुभकामनाएँ
राजा संक्रांति की शुभकामनाएँ
इस राजा संक्रांति 2025 (Raja Sankranti 2025) पर अपने दोस्तों और परिवार को शुभकामनाएँ भेजकर इस पर्व को और खास बनाएं। आप कह सकते हैं, “राजा संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ! धरती माता का आशीर्वाद आप पर बरसे!” या “शुभ रजो परबा! यह पर्व खुशियाँ और समृद्धि लाए!”
इन शुभकामनाओं को व्हाट्सएप, मैसेज या सोशल मीडिया पर साझा करें। यदि आप ओडिशा में हैं, तो इस पर्व का आनंद लें, झूलों का मजा लें और पोडा पीठा का स्वाद चखें। ये तीन दिन प्यार, सम्मान और खुशियों का जश्न हैं!
तीन दिन, तीन रंग: राजा संक्रांति का उत्सव
राजा संक्रांति 2025 (Raja Sankranti 2025) का हर दिन विशेष है। पहले दिन, जिसे पहिली रज (Pahili Raja) कहा जाता है, धरती माता के मासिक धर्म का पहला दिन माना जाता है। इस दिन लड़कियाँ और महिलाएँ नंगे पांव नहीं चलतीं, क्योंकि यह धरती माता के सम्मान का समय है। दूसरे दिन मिथुन संक्रांति (Mithun Sankranti) होता है, जब उत्सव अपने चरम पर होता है। तीसरा दिन भू दाह या बसी रज कहलाता है, जो पर्व का समापन दिन है। इन तीनों दिनों में महिलाएँ झूले झूलती हैं, रंग-बिरंगे कपड़े पहनती हैं और पोडा पीठा जैसे स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लेती हैं।
राजा संक्रांति का महत्व
राजा संक्रांति (Raja Sankranti) केवल एक पर्व नहीं, बल्कि नारीत्व का उत्सव है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इन तीन दिनों में भगवान विष्णु की पत्नी भूमा देवी (धरती माता) मासिक धर्म से गुजरती हैं। यह शायद दुनिया का एकमात्र त्योहार है, जो मासिक धर्म को प्रजनन और जीवन की शक्ति के रूप में मनाता है। यह पर्व महिलाओं की उस अद्वितीय शक्ति का सम्मान करता है, जो जीवन को जन्म देती है। ओडिशा में इस दौरान कोई निर्माण कार्य नहीं होता, और पूरा ध्यान उत्सव, खाने-पीने और खुशियों पर होता है।
स्वाद और परंपराओं का संगम
राजा संक्रांति 2025 (Raja Sankranti 2025) का मजा तब और बढ़ जाता है, जब बात पोडा पीठा और चाकुली पीठा जैसे लाजवाब व्यंजनों की आती है। ये पारंपरिक ओडिया डिशेज इस पर्व की जान हैं। पोडा पीठा, जो चावल, गुड़ और नारियल से बनता है, हर घर में तैयार किया जाता है। इस दौरान महिलाएँ रसोई से दूर रहती हैं, और पुरुष रसोई का कार्य संभालते हैं। बच्चियाँ झूलों पर झूलती हैं, मेहंदी लगाती हैं और गीत गाती हैं। यह पर्व न केवल धरती माता को सम्मान देता है, बल्कि परिवारों को एकजुट होने का अवसर भी प्रदान करता है।