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लखनऊ में मुहर्रम पर हिंदू-मुस्लिम एकता का अनोखा नज़ारा

लखनऊ में मुहर्रम के अवसर पर एक बार फिर हिंदू-मुस्लिम एकता का अद्भुत उदाहरण देखने को मिला। स्वामी सारंग ने जुलूस में भाग लेते हुए कर्बला के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उनका यह कदम पिछले 10 वर्षों से जारी है, जो धार्मिक सद्भावना का प्रतीक है। इस जुलूस में शामिल होकर उन्होंने मातम किया और 'या अली' और 'या हुसैन' का जाप किया। जानिए इस विशेष दिन का महत्व और स्वामी सारंग के योगदान के बारे में।
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लखनऊ में मुहर्रम पर हिंदू-मुस्लिम एकता का अनोखा नज़ारा

लखनऊ में मुहर्रम का जुलूस

लखनऊ मुहर्रम वीडियो: नवाबों के शहर लखनऊ में रविवार को मुहर्रम की दसवीं तारीख को यौम-ए-आशूरा मनाया गया। इस अवसर पर एक बार फिर हिंदू-मुस्लिम एकता का अद्भुत उदाहरण देखने को मिला। इमामबाड़ा नाज़िम साहिब से कर्बला तालकटोरा तक एक भव्य जुलूस निकाला गया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में एक बाबा मातम करते हुए दिखाई दे रहे हैं।


वायरल वीडियो में नजर आ रहे बाबा का नाम स्वामी सारंग है। वे मुस्लिम गुरु मौलाना कल्बे जव्वाद के साथ इस जुलूस में शामिल हुए हैं। स्वामी सारंग ने कर्बला के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस जुलूस में उन्होंने भगवा वस्त्र पहने हुए और माथे पर तिलक लगाए हुए 'या अली' और 'या हुसैन' का जाप करते हुए श्रद्धांजलि दी। यह उनकी मुहर्रम में भागीदारी का कोई पहला अवसर नहीं है, बल्कि वे पिछले 10 वर्षों से इस आयोजन में शामिल हो रहे हैं।


मुहर्रम इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना होता है, और इसका 10वां दिन विशेष महत्व रखता है। इसे आशूरा के नाम से जाना जाता है, जब इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत को याद किया जाता है। इस मौके पर स्वामी सारंग रुद्राक्ष की माला पहने और गेरुआ वस्त्र धारण किए हुए मातम में डूबे नजर आए।



स्वामी सारंग ने कर्बला के संदेश को याद करते हुए बताया कि आशूरा के दिन हज़रत रसूल के नाती हज़रत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों को इराक के कर्बला में शहीद कर दिया गया था। तभी से मुसलमान और अन्य समुदाय के लोग इस महीने में लंगर और जुलूस निकालते हैं।