वट सावित्री व्रत: सावित्री और सत्यवान की पौराणिक कथा
वट सावित्री व्रत हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है, जो सावित्री और सत्यवान की कथा से जुड़ा है। यह व्रत ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा और अमावस्या को मनाया जाता है। इस लेख में हम आपको इस व्रत का महत्व और पौराणिक कथा के बारे में विस्तार से बताएंगे। जानें कैसे सावित्री ने अपने पति सत्यवान को यमराज से वापस लाने के लिए साहस दिखाया।
Oct 7, 2025, 12:08 IST
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वट सावित्री व्रत का महत्व
हिंदू धर्म में हर महीने की पूर्णिमा और अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। इन तिथियों पर विशेष व्रत किए जाते हैं। ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा और अमावस्या को वट सावित्री व्रत मनाया जाता है, जो सावित्री और सत्यवान की कथा से जुड़ा है। यह व्रत मुख्य रूप से महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत के राज्यों में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि सावित्री सत्यवान की कथा सुने बिना वट सावित्री व्रत अधूरा माना जाता है। इस लेख में हम आपको वट सावित्री से संबंधित सावित्री और सत्यवान की कथा के बारे में बताएंगे।
पौराणिक कथा
कथा के अनुसार, राजर्षि अश्वपति की एक पुत्री थी, जिसका नाम सावित्री था। जब सावित्री बड़ी हुई, तो उनके पिता ने उनके लिए एक योग्य वर की तलाश शुरू की। हालांकि, उन्हें कोई उपयुक्त वर नहीं मिला। अंततः उन्होंने अपनी बेटी से कहा कि वह स्वयं अपने लिए वर चुनें। कुछ समय बाद, सावित्री द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान से मिलीं।
सावित्री का विवाह
सावित्री ने विवाह की इच्छा लेकर अपने पिता के पास गईं। लेकिन सत्यवान की अल्पायु के बारे में देवर्षि नारद ने राजा अश्वपति को बताया। यह जानकर राजा ने सावित्री को इस विवाह से रोकने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं मानी और विधिपूर्वक सत्यवान से विवाह कर लिया। विवाह के कुछ समय बाद, सावित्री के पति की मृत्यु हो गई, और यमराज सत्यवान की आत्मा को ले जाने लगे।
सावित्री का साहस
सावित्री ने यमराज के पीछे-पीछे चलना शुरू किया। यमराज ने उन्हें रोकने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह नहीं रुकीं। अंततः यमराज ने सावित्री से तीन वरदान मांगने के लिए कहा। पहले वरदान में उन्होंने अपने दिव्यांग सास-ससुर के लिए आंखों की रोशनी मांगी। दूसरे वरदान में उन्होंने अपने पति का खोया राजपाट मांगा। तीसरे वरदान में सावित्री ने कहा कि यदि आप मुझसे प्रसन्न हैं, तो मुझे 100 पुत्रों की मां बनने का आशीर्वाद दें। यमराज ने तथास्तु कहा।
यमराज का निर्णय
फिर भी सावित्री यमराज के पीछे चलती रहीं। यमराज ने कहा कि मैंने आपको वरदान दे दिया है, अब आप मेरे पीछे क्यों आ रही हैं? सावित्री ने उत्तर दिया कि आपने मुझे 100 पुत्रों की मां बनने का वरदान दिया है, लेकिन मैं अपने पति के बिना कैसे मां बन सकती हूं? यह सुनकर यमराज चकित रह गए और उन्होंने तुरंत सत्यवान को मुक्त कर दिया।