Newzfatafatlogo

वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में भोग में देरी पर सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी

वृंदावन के श्री बांके बिहारी मंदिर में भोग चढ़ाने में हुई देरी के कारण सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है। मंदिर प्रबंधन ने इसे मामूली देरी बताया, जबकि कुछ रिपोर्टों में भोग न चढ़ाने का दावा किया गया। इस विवाद के पीछे हलवाई की अनुपस्थिति और समय परिवर्तन के मुद्दे हैं। जानें इस मामले की पूरी कहानी और सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियाँ।
 | 
वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में भोग में देरी पर सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी

वृंदावन में भोग की स्थिति


वृंदावन: सोमवार को वृंदावन के प्रसिद्ध श्री बांके बिहारी मंदिर में भगवान के भोग और विश्राम के समय को लेकर स्थिति असामान्य हो गई। बालभोग चढ़ाने में हुई देरी के कारण यह मामला चर्चा का विषय बन गया। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर में सशुल्क 'विशेष पूजा' की परंपरा पर कड़ी नाराजगी जताई है, इसे भगवान बांके बिहारी के विश्राम समय में बाधा का कारण बताया गया है।


यह मामला तब तूल पकड़ा जब कुछ रिपोर्टों में कहा गया कि सोमवार को देवता को भोग नहीं चढ़ाया गया। हालांकि, मंदिर के सेवायतों और प्रबंधन समिति ने इन दावों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि भोग चढ़ाया गया था, लेकिन इसमें लगभग डेढ़ घंटे की देरी हुई थी।


भोग में देरी का कारण

मंदिर से जुड़े एक महंत ने बताया कि भोग तैयार करने वाले हलवाई की अनुपस्थिति के कारण देरी हुई। उन्होंने कहा कि हलवाई को पिछले कुछ समय से वेतन नहीं मिला था। वहीं, एक अन्य महंत ने कहा कि देरी किसी निजी और जरूरी कारण से हुई थी, जिसका भुगतान से कोई संबंध नहीं था।


मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्य दिनेश गोस्वामी ने स्पष्ट किया, 'यह बिल्कुल भी संभव नहीं है कि हम बांके बिहारी जी को भोग न चढ़ाएं।'


प्रबंधन समिति का खंडन

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त बांके बिहारी मंदिर की उच्चस्तरीय प्रबंधन समिति ने भुगतान न होने से जुड़ी खबरों को सिरे से खारिज कर दिया। समिति ने अपने बयान में कहा कि भोग में केवल 'मामूली देरी' हुई थी और इसका कारण यह था कि भोग तैयार करने वाले मुख्य कारीगर की पत्नी अचानक बीमार पड़ गई थीं।


समिति ने यह भी स्पष्ट किया कि 'भुगतान न होने' या 'हलवाई द्वारा भोग बनाने से इनकार' की खबरें पूरी तरह निराधार हैं।


सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी का कारण

इसी दिन, नई दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट में बांके बिहारी मंदिर से जुड़ी याचिका पर सुनवाई हो रही थी। सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने मंदिर में सशुल्क 'विशेष पूजा' की प्रथा पर कड़ी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि दोपहर में मंदिर बंद होने के बाद देवता को विश्राम का समय नहीं दिया जाता और भुगतान करने में सक्षम लोगों के लिए विशेष पूजाएं कराई जाती हैं।


मुख्य न्यायाधीश ने मौखिक टिप्पणी में कहा, 'वे लोग देवता को एक पल भी आराम नहीं करने देते और तथाकथित धनी लोगों को विशेष पूजा की अनुमति दी जाती है।'


समय परिवर्तन और कानूनी विवाद

यह विवाद मंदिर के दर्शन और अनुष्ठानों के समय में किए गए बदलावों से भी जुड़ा है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि दर्शन का समय और अनुष्ठान सदियों पुरानी परंपरा का हिस्सा हैं। समय में बदलाव के कारण देवता के सुबह उठने और रात को सोने के समय पर भी असर पड़ा है।


अध्यादेश से बढ़ा विवाद

समय को लेकर विवाद को उत्तर प्रदेश श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025 ने और हवा दी है। इस अध्यादेश के जरिए 1939 की पुरानी प्रबंधन योजना को बदलकर राज्य-नियंत्रित ट्रस्ट बनाया गया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस अध्यादेश पर फिलहाल रोक लगा रखी है और मामले की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित है।


फिलहाल, भोग में देरी के सटीक कारण को लेकर अलग-अलग दावे सामने आ रहे हैं, लेकिन मंदिर प्रशासन का कहना है कि भगवान बांके बिहारी की सेवा और परंपराओं से किसी भी तरह का समझौता नहीं किया गया है।