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वृश्चिक संक्रांति 2025: पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

वृश्चिक संक्रांति 2025 का दिन विशेष महत्व रखता है, जब सूर्य धनु राशि से निकलकर वृश्चिक में प्रवेश करता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा, दान और स्नान का विशेष महत्व है। जानें इस दिन की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और मंत्र, जो धन-समृद्धि के लिए लाभकारी माने जाते हैं। इस पावन अवसर पर विशेष उपायों से धन संबंधी परेशानियों को दूर किया जा सकता है।
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वृश्चिक संक्रांति 2025: पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

वृश्चिक संक्रांति का महत्व और पूजा विधि

वृश्चिक संक्रांति का समय और पूजा विधि: जब सूर्य धनु राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करता है, तब इसे वृश्चिक संक्रांति कहा जाता है। यह दिन धन-समृद्धि के लिए विशेष माना जाता है और धनु संक्रांति से पहले आता है।


वृश्चिक संक्रांति


इस दिन सूर्य देव की पूजा, दान, स्नान और तप का विशेष महत्व है। पुराणों के अनुसार, यह छात्रों और शिक्षकों के लिए भी शुभ है। सूर्य की आराधना और कुछ विशेष उपायों से धन संबंधी समस्याएं दूर होती हैं और आय के नए रास्ते खुलते हैं। आज वृश्चिक संक्रांति का पावन दिन है। पूजा और दान करने से बड़ा पुण्य प्राप्त होता है। यहां पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और मंत्र जानें।


वृश्चिक संक्रांति पूजा मुहूर्त


वृश्चिक संक्रांति – 16 नवंबर 2025, रविवार
वृश्चिक संक्रांति पुण्य काल – 08:02 AM से 01:45 PM
वृश्चिक संक्रांति महा पुण्य काल – 11:58 AM से 01:45 PM
वृश्चिक संक्रांति का क्षण – 01:45 PM


वृश्चिक संक्रांति के मंत्र


ॐ ऐहि सूर्य सहस्रांशो तेजो राशे जगत्पते। अनुकंपयेमां भक्त्या गृहाणार्घ्यं दिवाकरः।
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा।
ॐ घृणि सूर्याय नमः।
ॐ आदित्याय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्यः प्रचोदयात्।


वृश्चिक संक्रांति पूजा विधि


वृश्चिक संक्रांति के दिन सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूर्व दिशा की ओर मुंह करके सूर्य देव का ध्यान करें। एक तांबे के लोटे में जल भरें, उसमें लाल फूल, अक्षत, गुड़ या शक्कर और थोड़ी लाल चंदन की बूंदें मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। फिर सूर्य मंत्र 'ॐ घृणि सूर्याय नमः' या आदित्य हृदय स्तोत्र का जप करें।


घर में दीपक जलाएं, सूर्य देव की मूर्ति या फोटो पर लाल पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य चढ़ाएं। दान का फल दोगुना मिलता है, इसलिए लाल वस्त्र, तांबा, गुड़, फल, अन्न जरूरतमंदों को दान करें। शाम को फिर सूर्य को जल चढ़ाकर दिन का संकल्प पूरा करें और परिवार की खुशहाली, सेहत और तरक्की की प्रार्थना करें।