वृश्चिक संक्रांति: प्रीति और अमृत सिद्धि योग का महत्व
वृश्चिक संक्रांति, जो 16 नवंबर को मनाई जाएगी, सूर्य देव के राशि परिवर्तन का पर्व है। इस दिन प्रीति और शिववास योग जैसे शुभ संयोग बनते हैं, जो साधकों को स्वास्थ्य और समृद्धि का वरदान देते हैं। जानें इस दिन की पूजा विधि और पंचांग विवरण।
| Nov 16, 2025, 05:04 IST
सूर्यदेव की पूजा का महत्व
वृश्चिक संक्रांति, नई दिल्ली: वैदिक पंचांग के अनुसार, रविवार 16 नवंबर को वृश्चिक संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। यह त्योहार हर महीने सूर्य देव के राशि परिवर्तन के समय आता है। इस दिन सूर्य देव तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। इस अवसर पर गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद सूर्य देव की पूजा की जाती है, साथ ही आर्थिक स्थिति के अनुसार दान भी किया जाता है।
प्रीति और शिववास योग का महत्व
ज्योतिषियों के अनुसार, वृश्चिक संक्रांति के दिन प्रीति और शिववास योग जैसे कई शुभ संयोग बन रहे हैं। इन योगों में सूर्य देव की पूजा करने से साधक को स्वास्थ्य का वरदान प्राप्त होता है और जीवन में आने वाली कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।
- प्रीति योग: इस दिन प्रीति योग का संयोग बन रहा है, जो देर रात तक रहेगा। इस योग में सूर्य देव की पूजा और जप-तप करने से साधक को स्वास्थ्य लाभ मिलेगा। ज्योतिष में इसे शुभ माना जाता है, और यह करियर संबंधी समस्याओं को भी दूर करता है।
- शिववास योग: इस दिन शिववास योग का निर्माण भी हो रहा है। अगहन माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि पर भगवान शिव कैलाश पर नंदी की सवारी करेंगे। इस योग में सूर्य देव की पूजा करने से जातक पर सूर्य देव की कृपा बरसती है। इसके साथ ही अमृत सिद्धि योग का भी संयोग बन रहा है।
पंचांग विवरण
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 06:47 बजे
- सूर्यास्त - शाम 05:29 बजे
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05:01 से 05:54 बजे तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 01:55 से 02:38 बजे तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 05:29 से 05:56 बजे तक
- निशिता मुहूर्त - रात 11:42 से 12:35 बजे तक
