Newzfatafatlogo

वैकासी विसाकम 2025: भगवान मुरुगन का जन्मोत्सव और पूजा विधि

वैकासी विसाकम 2025, भगवान मुरुगन के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू पर्व है। यह पर्व विशेष रूप से दक्षिण भारत में मनाया जाता है, जब विशाखा नक्षत्र और पूर्णिमा का संयोग होता है। इस वर्ष, यह पर्व 9 जून को मनाया जाएगा। जानें इस दिन की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और भगवान मुरुगन के महत्व के बारे में। यह उत्सव लोगों को साहस और शक्ति की प्रेरणा देता है।
 | 
वैकासी विसाकम 2025: भगवान मुरुगन का जन्मोत्सव और पूजा विधि

वैकासी विसाकम 2025 का महत्व

वैकासी विसाकम 2025: यह पर्व तमिल पंचांग के वैकासी महीने में मनाया जाता है और इसे भगवान मुरुगन (कार्तिकेय) के जन्मदिन के रूप में मनाने की परंपरा है। यह उत्सव दक्षिण भारत, विशेषकर तमिलनाडु, केरल, और श्रीलंका में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व तब मनाया जाता है जब विशाखा नक्षत्र और पूर्णिमा का संयोग होता है, और इस दौरान सूर्य वृषभ राशि में होता है। वर्ष 2025 में, वैकासी विसाकम 9 जून को मनाया जाएगा, जब विशाखा नक्षत्र और पूर्णिमा का संयोग होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस दिन विशाखा नक्षत्र दोपहर 3:31 बजे तक रहेगा। यह दिन भगवान मुरुगन की पूजा और उत्सव के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है।


भगवान कार्तिकेय का जन्मोत्सव

वैकासी विसाकम भगवान मुरुगन के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जो भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं। तमिल संस्कृति में उन्हें स्कंद, सुब्रह्मण्य, या कार्तिकेय के नाम से भी जाना जाता है। वे युद्ध, साहस, और विजय के देवता माने जाते हैं। यह पर्व आध्यात्मिक ऊर्जा से भरा होता है, और लोग इस दिन मुरुगन की पूजा करके बाधाओं पर विजय, आत्मविश्वास, और समृद्धि की कामना करते हैं। तमिल समुदाय के लिए यह पर्व विशेष महत्व रखता है, क्योंकि मुरुगन को तमिलनाडु का कुलदेवता माना जाता है।


पौराणिक कथा और महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, वैकासी विसाकम का महत्व भगवान मुरुगन के जन्म और तारकासुर जैसे राक्षसों के वध से जुड़ा है। जब तारकासुर का आतंक तीनों लोकों में फैल गया, तब देवताओं ने भगवान शिव से रक्षा की प्रार्थना की। शिव जी ने वरदान दिया कि उनका पुत्र तारकासुर का वध करेगा। वैकासी मास में विशाखा नक्षत्र के दिन मुरुगन का जन्म हुआ। उन्होंने अपनी शक्ति, बुद्धिमत्ता, और वेल (मुरुगन का शस्त्र) के साथ राक्षसों का नाश किया। यह विजय वैकासी विसाकम के उत्सव का आधार है, जो लोगों को साहस, शक्ति और बुराई पर अच्छाई की जीत की प्रेरणा देता है।


पूजा विधि और मुहूर्त

वैकासी विसाकम के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:00 से 5:00 बजे) में उठकर स्नान करें और पूजा की तैयारी करें। घर और पूजा स्थल को फूलों, रंगोली, और दीपों से सजाएं। भगवान मुरुगन की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थल पर स्थापित करें और उनके साथ गणेश, शिव और माता पार्वती की पूजा करें। पूजा में भगवान कार्तिकेय की मूर्ति का दूध, शहद, चंदन, और जल से अभिषेक करें। इसके साथ ही 'ॐ स्कंदाय नमः' या 'ॐ शारवणभवाय नमः' मंत्रों का जाप करें। भगवान मुरुगन को पायसम, नारियल, फल, और पंचमेवा का प्रसाद अर्पित करें। इसके साथ ही 'मुरुगन कवच' या 'सुब्रह्मण्य सहस्रनाम' का पाठ करें।


विशेष पूजा समय

इस दिन हवन भी किया जा सकता है। जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, या दक्षिणा दान देना भी शुभ माना जाता है। भगवान मुरुगन के मंदिरों जैसे पलानी, तिरुचेंद्र, या स्वामीमलाई में दर्शन करना भी लाभकारी होता है। 9 जून 2025 को पूजा के लिए शुभ मुहूर्त ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:00-5:00 बजे) और अभिजित मुहूर्त (मध्याह्न 11:30-12:30 बजे) हैं। विशाखा नक्षत्र दोपहर 3:31 बजे तक रहेगा, इसलिए सुबह का समय विशेष रूप से अनुकूल है। शिव योग (शाम 1:09 बजे तक) और सिद्ध योग (इसके बाद) पूजा के प्रभाव को बढ़ाते हैं।