शनि प्रदोष व्रत: शिव अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र का पाठ करें
आज शनि प्रदोष व्रत का आयोजन किया जा रहा है, जो भगवान शिव और शनिदेव की पूजा का विशेष दिन है। इस दिन शिव अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र का पाठ करने से महादेव की कृपा प्राप्त होती है। जानें इस दिन की पूजा विधि, मंत्र और भोग अर्पित करने के तरीके। शिव जी की आराधना से जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
Oct 4, 2025, 05:11 IST
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शिव और शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त करें
Shani Pradosh Vrat, नई दिल्ली: आज शनि प्रदोष व्रत का आयोजन किया जा रहा है। इस दिन भगवान शिव और शनिदेव की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। यह दिन शिव जी और माता पार्वती की आराधना के लिए विशेष माना जाता है। इस अवसर पर आप शिव अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं, जिससे महादेव की कृपा प्राप्त होती है।
शिव जी की पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- मंदिर की सफाई के बाद गंगाजल का छिड़काव करें।
- एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- शिवलिंग का अभिषेक कच्चे दूध, गंगाजल और शुद्ध जल से करें।
- पूजा के दौरान शिव जी को बेलपत्र, धतूरा और भांग अर्पित करें।
- इस दिन शिव जी को खीर, फल और हलवा का भोग लगाएं।
- माता पार्वती को 16 शृंगार की सामग्री अर्पित करें।
- दीप जलाकर भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें।
- पूजा का प्रसाद सभी में बांटें।
शिव अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र
- शिवो महेश्वर: शम्भु:पिनाकी शशिशेखर:।
वामदेवो विरूपाक्ष:कपर्दी नीललोहित:॥1॥ - शङ्कर: शूलपाणिश्चखट्वाङ्गी विष्णुवल्लभ:।
शिपिविष्टोऽम्बिकानाथ:श्रीकण्ठो भक्तवत्सल:॥ - भव: शर्वस्त्रिलोकेश:शितिकण्ठ: शिवाप्रिय:।
उग्र: कपालीकामारिरन्धकासुरसूदन:॥ - गङ्गाधरो ललाटाक्ष:कालकाल: कृपानिधि:।
भीम: परशुहस्तश्चमृगपाणिर्जटाधर:॥ - कैलासवासी कवचीकठोरस्त्रिपुरान्तक:।
वृषाङ्को वृषभारूढोभस्मोद्धूलितविग्रह:॥ - सामप्रिय: स्वरमयस्त्रयीमूर्तिरनीश्वर:।
सर्वज्ञ: परमात्मा चसोमसूर्याग्निलोचन:॥ - हविर्यज्ञमय: सोम:पञ्चवक्त्र: सदाशिव:।
विश्वेश्वरो वीरभद्रोगणनाथ: प्रजापति:॥ - हिरण्यरेता दुर्धर्षोगिरीशो गिरिशोऽनघ:।
भुजङ्गभूषणो भर्गोगिरिधन्वा गिरिप्रिय:॥ - कृत्तिवासा: पुरारातिर्-भगवान् प्रमथाधिप:।
मृत्युञ्जय: सूक्ष्म-तनुर्जगद्व्यापी जगद्गुरु:॥ - व्योमकेशो महासेनजनकश्चारु विक्रम:।
रुद्रो भूतपति:स्थाणुरहिर्बुध्न्यो दिगम्बर:॥ - अष्टमूर्तिरनेकात्मासात्त्विक: शुद्धविग्रह:।
शाश्वत: खण्डपरशुरज:पाशविमोचक:॥ - मृड: पशुपतिदेर्वोमहादेवोऽव्ययो हरि:।
पूषदन्तभिदव्यग्रोदक्षाध्वरहरो हर:॥ - भगनेत्रभिदव्यक्त:सहस्राक्ष: सहस्रपात्।
अपवर्गप्रदोऽनन्तस्तारक:परमेश्वर:॥
॥ इति श्रीशिवाष्टोत्तरशतदिव्यनामामृतस्त्रोत्रं सम्पूर्णम् ॥
शिव जी के मंत्र
- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्!
- ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
- ऊवार्रुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ।।
शनि गायत्री मंत्र
- ॐ शनैश्चराय विदमहे छायापुत्राय धीमहि।
शनि बीज मंत्र
- ॐ प्रां प्रीं प्रों स: शनैश्चराय नम: ।।
शनि स्तोत्र
- ॐ नीलांजन समाभासं रवि पुत्रं यमाग्रजम।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम।।