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शरद पूर्णिमा: महत्व और विशेष उपाय

शरद पूर्णिमा का पर्व 6 अक्टूबर को मनाया जाएगा, जिसमें माता लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है, जिससे स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। जानें इस दिन किए जाने वाले विशेष उपाय, जैसे खीर का सेवन और चंद्रमा को देखना, जो आपके जीवन में सकारात्मकता लाएंगे।
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शरद पूर्णिमा: महत्व और विशेष उपाय

शरद पूर्णिमा का महत्व

इस वर्ष शरद पूर्णिमा का पर्व 6 अक्टूबर को मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि माता लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा की जाती है। आश्विन माह की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है, जिसे कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस रात चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है, इसलिए लोग खुले आसमान के नीचे खीर रखकर उसका सेवन करते हैं। खीर का सेवन करने से व्यक्ति को स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त होती है। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से माता लक्ष्मी और चंद्र देव प्रसन्न होते हैं, जिससे व्यक्ति के पास धन-धान्य की कमी नहीं रहती। 


शरद पूर्णिमा पर करने योग्य उपाय


शरद पूर्णिमा करें ये काम

- शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों में रखी दूध-चावल की खीर का सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। इस रात सुई में धागा पिरोने से आंखों की रोशनी में वृद्धि होती है।

- इस रात आध्यात्मिक उत्थान के लिए जागरण करना फायदेमंद है। इसलिए सभी को इस रात जागरण करना चाहिए और संभव हो तो सोना नहीं चाहिए। इस पवित्र रात में जप, ध्यान और कीर्तन करना चाहिए।

- इस रात चंद्रमा को 15 मिनट तक ध्यान से देखना चाहिए। इससे शरीर को स्वास्थ्य लाभ होता है और 32 प्रकार की पित्त संबंधी बीमारियों में राहत मिलती है। आप छत पर आसन बिछाकर लेटे-लेटे भी चंद्रमा को देख सकते हैं।
 
- जिनकी आंखों की रोशनी बढ़ानी हो, वे इस रात सुई में धागा पिरोने का प्रयास करें। ऐसा करने से नेत्रज्योति में वृद्धि होती है।

- इस रात ध्यान, भजन, सत्संग और चंद्रदर्शन करने से व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है।

- शरद पूर्णिमा की ठंडी रात में (रात 9 से 12 बजे के बीच) छत पर चंद्रमा की किरणों में महीन कपड़े से ढंकी दूध-पोहे या दूध-चावल की खीर अवश्य खानी चाहिए। देर रात होने के कारण खीर को कम मात्रा में खाएं, भरपेट न खाएं, सावधानी बरतें।