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सावन शिवरात्रि: भगवान शिव की आराधना का विशेष पर्व 2023 में कब मनाया जाएगा?

सावन शिवरात्रि, भगवान शिव की आराधना का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो हर साल सावन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस वर्ष, यह पर्व 23 जुलाई को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाएगा। जानें इस दिन की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व के बारे में। शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र अर्पित करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस पर्व का महत्व उत्तर भारत के कई राज्यों में विशेष रूप से मनाया जाता है।
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सावन शिवरात्रि: भगवान शिव की आराधना का विशेष पर्व 2023 में कब मनाया जाएगा?

सावन शिवरात्रि का महत्व

सावन शिवरात्रि भगवान शिव की पूजा का एक अत्यंत पवित्र अवसर है, जिसे हर साल सावन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष, यह पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ 23 जुलाई, बुधवार को मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि के बाद, यह पर्व शिवभक्तों के लिए दूसरा सबसे महत्वपूर्ण अवसर माना जाता है।


सावन माह की विशेषता

सावन का पूरा महीना भगवान शिव को समर्पित होता है, लेकिन शिवरात्रि का दिन विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा और पुण्य लाभ का अवसर प्रदान करता है। इस दिन शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा और भांग अर्पित करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।


शिवरात्रि की तारीख पर संदेह

कुछ भक्तों के मन में यह प्रश्न था कि शिवरात्रि 23 जुलाई को मनाई जाएगी या 24 को? ज्योतिषियों के अनुसार, शिव पूजा के लिए 23 जुलाई की रात और 24 जुलाई की भोर का समय अत्यंत शुभ है।


पूजन के शुभ मुहूर्त

1. पहला मुहूर्त: सुबह 4:15 से 4:56 बजे तक
2. दूसरा मुहूर्त: सुबह 8:32 से 10:02 बजे तक


रात्रि पूजा के चार पहर

1. प्रथम पहर: शाम 7:26 से रात 10:06 बजे तक
2. द्वितीय पहर: रात 10:06 से 12:46 बजे तक
3. तृतीय पहर: रात 12:46 से सुबह 3:27 बजे तक
4. चतुर्थ पहर: सुबह 3:27 से 6:07 बजे तक
5. निशिता काल: 24 जुलाई की रात 12:25 से 1:08 बजे तक


पूजा विधि और उपवास

सावन शिवरात्रि के दिन भक्त प्रातःकाल स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनते हैं और शिव मंदिर जाकर पूजा करते हैं। उपवास में फलाहार, दूध, और जल का सेवन किया जाता है, जबकि अनाज और नमक से परहेज किया जाता है। दिनभर शिव मंत्रों का जाप और रात्रि में शिव चालीसा, महामृत्युंजय मंत्र और शिव पुराण का पाठ किया जाता है।


धार्मिक महत्त्व

यह पर्व उत्तर भारत के कई राज्यों में विशेष धूमधाम से मनाया जाता है। काशी विश्वनाथ, महाकालेश्वर, और बद्रीनाथ धाम जैसे प्रमुख शिवालयों में विशेष पूजा और गंगाजल से अभिषेक किया जाता है। यह दिन आत्मशुद्धि, भक्ति, मानसिक शांति और मोक्ष प्राप्ति का अद्वितीय अवसर माना जाता है।