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सोम प्रदोष व्रत: पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

सोम प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है, जिसमें भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। इस लेख में जानें सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि, शुभ योग और मुहूर्त। यह व्रत न केवल भौतिक सुख प्रदान करता है, बल्कि आत्मिक शांति का भी मार्ग प्रशस्त करता है। जानें इस विशेष दिन की पूजा कैसे करें और इसके महत्व के बारे में।
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सोम प्रदोष व्रत: पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा का महत्व


सोम प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत हर महीने की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। आज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी है, इसलिए आज प्रदोष व्रत का आयोजन किया जाएगा। सोमवार के दिन होने के कारण इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा विशेष रूप से की जाती है। पूजा का समय प्रदोष काल, जो सूर्यास्त के बाद शुरू होता है, को ध्यान में रखा जाता है। यह समय भगवान शिव की आराधना के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।


सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि


  • सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लें और पूरे दिन उपवासी रहें।

  • शाम को सूर्यास्त के बाद पूजा स्थल तैयार करें।

  • भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश और नंदी की मूर्तियाँ स्थापित करें।

  • दीप जलाकर गंगाजल, बिल्वपत्र, दूध, धतूरा और फूल अर्पित करें।

  • ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए शिवलिंग का अभिषेक करें।

  • शिव-पार्वती की आरती करें और प्रदोष कथा सुनें।

  • रात में फलाहार करें और ब्राह्मणों को दान दें।

  • यह व्रत भौतिक सुख के साथ-साथ आत्मिक शांति भी प्रदान करता है।



सोम प्रदोष व्रत का शुभ योग

कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी पर हर्षण योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही प्रदोष व्रत पर रवि और शिववास योग भी बन रहा है। शिववास योग के दौरान भगवान शिव कैलाश पर नंदी की सवारी करेंगे। इन योगों में भगवान शिव की पूजा करने से भक्त की सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं।


प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त


  • त्रयोदशी तिथि की शुरुआत: 03 नवंबर को सुबह 05:07 बजे

  • त्रयोदशी तिथि का समापन: 04 नवंबर को रात 02:05 बजे