हरियाणा में ईंट भट्टों के लिए बायोमास पेलेट का अनिवार्य उपयोग

बायोमास पेलेट का अनिवार्य उपयोग
हरियाणा में बायोमास पेलेट का उपयोग अनिवार्य किया गया: हरियाणा सरकार ने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब गैर-एनसीआर जिलों में स्थित ईंट भट्टों में धान की पराली से बने बायोमास पेलेट का उपयोग करना अनिवार्य होगा।
इस नियम का मुख्य उद्देश्य पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण (Stubble Pollution) को कम करना है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (Air Quality Management Commission) के निर्देशों के अनुसार, खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने सभी जिलों को इस नियम का पालन करने के लिए पत्र भेजा है। यह कदम हरियाणा को एक स्वच्छ और हरित राज्य बनाने में सहायक होगा।
पराली जलाने पर नियंत्रण के लिए बायोमास पेलेट का उपयोग
हरियाणा में पराली जलाने से उत्पन्न प्रदूषण (Air Pollution) एक गंभीर समस्या बन चुका है। खासकर सर्दियों में धुंध और स्मॉग के कारण लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
इस समस्या के समाधान के लिए सरकार ने ईंट भट्टों में बायोमास पेलेट (Biomass Fuel) का उपयोग अनिवार्य किया है। ये पेलेट धान की पराली, लकड़ी और अन्य कृषि अवशेषों से निर्मित होते हैं। इनका उपयोग न केवल प्रदूषण को कम करेगा,
बल्कि पराली को जलाने के बजाय एक उपयोगी संसाधन में परिवर्तित करेगा।
एनसीआर क्षेत्रों में यह नियम पहले से लागू था। अब यह गैर-एनसीआर जिलों जैसे अम्बाला, फतेहाबाद, हिसार, कैथल, कुरुक्षेत्र, पंचकूला, सिरसा और यमुनानगर में भी लागू किया गया है। इससे पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य दोनों को लाभ होगा।
बायोमास पेलेट के उपयोग का समयबद्ध लक्ष्य
हरियाणा सरकार ने बायोमास पेलेट (Sustainable Fuel) के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से लागू करने की योजना बनाई है। खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले मंत्री राजेश नागर ने बताया कि ईंट भट्टों में 50% बायोमास पेलेट के मिश्रण का लक्ष्य रखा गया है। इसका समयबद्ध प्लान इस प्रकार है:
1 नवंबर 2025 से: कम से कम 20% मिश्रण
1 नवंबर 2026 से: कम से कम 30% मिश्रण
1 नवंबर 2027 से: कम से कम 40% मिश्रण
1 नवंबर 2028 से: कम से कम 50% मिश्रण
यह योजना सुनिश्चित करेगी कि ईंट भट्टे धीरे-धीरे पर्यावरण-अनुकूल ईंधन (Eco-Friendly Fuel) की ओर बढ़ें।
हरियाणा के लिए एक हरित भविष्य
इस नियम से न केवल प्रदूषण में कमी आएगी, बल्कि किसानों को भी लाभ होगा। पराली को जलाने के बजाय बायोमास पेलेट (Agricultural Waste Pellets) बनाने के लिए उपयोग करने से उनकी आय में वृद्धि होगी। गैर-एनसीआर जिलों में यह नियम स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी पैदा करेगा। साथ ही, स्वच्छ हवा और बेहतर पर्यावरण (Clean Air) हरियाणा के लोगों के लिए एक बड़ी सौगात होगी।
सरकार का यह कदम अन्य राज्यों के लिए भी एक उदाहरण बन सकता है। बायोमास पेलेट के उपयोग से हरियाणा न केवल पर्यावरण संरक्षण में आगे बढ़ेगा, बल्कि सतत विकास (Sustainable Development) की दिशा में भी एक नया कदम उठाएगा।