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हरियाणा में पहली बार हूल दिवस का आयोजन: जनजातीय बलिदान को मिला सम्मान

हरियाणा में पहली बार हूल दिवस का आयोजन किया गया, जिसमें संथाल स्वाधीनता संग्राम के 10,000 वीर बलिदानियों को सम्मानित किया गया। यह कार्यक्रम माय होम इंडिया और वनवासी कल्याण आश्रम के सहयोग से आयोजित हुआ। मुख्य अतिथि पवन जिंदल ने जनजातीय समाज के योगदान को सराहा और बलिदानियों की वीरता को याद किया। सुनील देवधर ने इसे ऐतिहासिक न्याय का दिन बताया। जानें इस महत्वपूर्ण आयोजन के बारे में और कैसे यह इतिहास को जनमानस तक पहुंचाने का प्रयास है।
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हरियाणा में पहली बार हूल दिवस का आयोजन: जनजातीय बलिदान को मिला सम्मान

हरियाणा में हूल दिवस का ऐतिहासिक आयोजन


  • हरियाणा में हूल दिवस जनजातीय बलिदान को ऐतिहासिक न्याय है: सुनील देवधर
  • संथाल वीरों के बलिदान को मिला सम्मान, गुरुग्राम में गूंजा हूल क्रांति का जयघोष


(Faridabad News) गुरुग्राम। हरियाणा में पहली बार हूल दिवस का आयोजन संथाल स्वाधीनता संग्राम के 10,000 वीर बलिदानियों की याद में किया गया। यह महत्वपूर्ण कार्यक्रम माय होम इंडिया और वनवासी कल्याण आश्रम हरियाणा के सहयोग से गुरुग्राम के अपैरल हाउस सभागार में आयोजित हुआ।


इस आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में क्षेत्रीय संघचालक पवन जिंदल, मेयर राज रानी मल्होत्रा, हरियाणा डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के चेयरमैन रामअवतार गर्ग, और वरिष्ठ भाजपा नेता सुनील देवधर उपस्थित रहे। पवन जिंदल ने कहा कि जनजातीय समाज का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने बलिदानियों की वीरता को याद करते हुए कहा कि यह दिन हमें उनके साहस और देशभक्ति को सम्मानित करने का अवसर देता है।


मुख्य वक्ता सुनील देवधर ने हूल क्रांति के नायकों सिद्धो, कान्हू, चांद, भैरव, फूलो और झानो के बलिदान को आधुनिक भारत के लिए प्रेरणा स्रोत बताया। उन्होंने कहा कि यह आयोजन केवल एक स्मृति समारोह नहीं, बल्कि उन वीर जनजातियों के बलिदान को मान्यता देने का एक ऐतिहासिक कदम है।


उन्होंने यह भी बताया कि यह संघर्ष केवल राजनीतिक विद्रोह नहीं था, बल्कि धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अस्तित्व की रक्षा का युद्ध था।


आयोजन का उद्देश्य


कार्यक्रम के अध्यक्ष सुरेंद्र शर्मा ने कहा कि भारत मां के बलिदानियों का योगदान इतिहास में दर्ज होना चाहिए। उन्होंने वामपंथी इतिहासकारों पर आरोप लगाया कि उन्होंने इन महान क्रांतिकारियों के योगदान को दबाने का प्रयास किया।


संयोजक रविंद्र सिंह और सह-संयोजक डॉ. नवनीत गोयल ने बताया कि यह आयोजन भारत के गौरवशाली लेकिन उपेक्षित इतिहास को जनमानस तक पहुंचाने का प्रयास है। कार्यक्रम में समाजसेवा, शिक्षा, और संस्कृति के क्षेत्र में योगदान देने वाले कई व्यक्तियों को सम्मानित किया गया।