हरियाली तीज 2025: पूजा विधि और महत्व

हरियाली तीज 2025 का पर्व
हरियाली तीज 2025: 27 जुलाई 2025 को हरियाली तीज का पवित्र पर्व मनाया जाएगा, जो हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह त्योहार सावन मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है और माता पार्वती तथा भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए व्रत करती हैं, जबकि अविवाहित कन्याएं अपने मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत का पालन करती हैं। सावन के महीने में प्रकृति में हरियाली का विस्तार होता है, इसलिए इसे हरियाली तीज कहा जाता है।
हरियाली तीज का महत्व
हरियाली तीज का त्योहार सावन में आने वाली बारिश और हरियाली से जुड़ा हुआ है, जो प्रकृति के नवजीवन का प्रतीक है। पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था, और उनकी तपस्या सावन मास की तृतीया तिथि को सफल हुई। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और पारंपरिक रूप से सोलह श्रृंगार करती हैं। हरे रंग की वस्तुओं का इस दिन विशेष महत्व होता है, जैसे हरे रंग की चूड़ियां और मेहंदी।
हरियाली तीज 2025 पर पूजा का मुहूर्त
सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 26 जुलाई की रात 11:12 बजे से शुरू होगी और यह 27 जुलाई को रात 10:41 बजे तक रहेगी। पूजा के लिए सुबह 5:30 बजे से 8:00 बजे तक का समय शुभ माना जाता है। इसके अलावा, सायंकाल का मुहूर्त शाम 6:00 बजे से 8:30 बजे तक रहेगा। इस समय के दौरान महिलाएं माता पार्वती और शिव परिवार की पूजा करती हैं। तृतीया तिथि की समाप्ति रात 10:41 बजे होगी, जिसके बाद व्रत का समापन चंद्रमा को अर्घ्य देकर किया जा सकता है।
हरियाली तीज की पूजा विधि
हरियाली तीज की पूजा विधिपूर्वक करनी चाहिए। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें। फिर एक चौकी पर लाल या हरा वस्त्र बिछाएं और उस पर माता पार्वती और भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। मूर्ति के सामने अक्षत, फूल, रोली और हल्दी से तिलक करें। पूजा के दौरान घी का दीपक जलाएं और धूप-दीप से भगवान का ध्यान करें। माता पार्वती को हरे रंग के फूल, बेल पत्र और मिठाई अर्पित करें। इसके बाद 'ऊं पार्वती पतये नमः' मंत्र का 108 बार जाप करें। पूजा के बाद भजन-कीर्तन करें और परिवार के साथ प्रसाद बांटें। रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का समापन करें।
निर्जला व्रत का पालन
हरियाली तीज का व्रत निर्जला होता है, यानी इस दिन न तो पानी और न ही भोजन ग्रहण किया जाता है। पूजा के बाद महिलाएं मेहंदी लगाती हैं, नए हरे या लाल रंग के कपड़े पहनती हैं और झूले पर बैठकर गीत गाती हैं। इस दिन घर में घेवर, मालपुआ जैसे पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते हैं, जो व्रत के बाद प्रसाद के रूप में ग्रहण किए जाते हैं। अविवाहित कन्याएं भी इस दिन व्रत रखकर माता पार्वती से मनचाहे वर की प्रार्थना करती हैं।
सावधानियां बरतें
व्रत रखने वाली महिलाओं को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। पूजा के दौरान साफ-सफाई और शुद्धता बनाए रखें। नकारात्मक विचारों से बचें और दिनभर माता पार्वती का ध्यान करें। यदि संभव हो, तो इस दिन किसी जरूरतमंद को भोजन दान करें, इससे पुण्य की प्राप्ति होती है।