हरियाली तीज: भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व
हरियाली तीज भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो विवाहित महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। यह पर्व पति की लंबी उम्र और वैवाहिक सुख के लिए मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं विशेष पूजा विधि का पालन करती हैं और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेती हैं। जानें इस पर्व का महत्व, पूजा सामग्री और विधि के बारे में।
Jul 26, 2025, 15:12 IST
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हरियाली तीज का महत्व
भारतीय संस्कृति में श्रावण मास का विशेष स्थान है, और इसी महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाई जाती है। यह पर्व खासकर विवाहित महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो अपने पति की लंबी उम्र और वैवाहिक सुख के लिए व्रत करती हैं। इस दिन धरती हरियाली से भर जाती है, झूले सजाए जाते हैं, लोक गीत गाए जाते हैं, और वातावरण भक्तिभाव से ओतप्रोत होता है। हरियाली तीज केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह भारतीय नारी की श्रद्धा, प्रेम और प्राकृतिक सौंदर्य का प्रतीक है। यह पर्व हमें परंपरा, प्रकृति और पारिवारिक संबंधों के महत्व को याद दिलाता है। हरियाली तीज पर महिलाएं जिस आनंद और भक्ति के साथ त्योहार मनाती हैं, वह भारतीय संस्कृति की जीवंतता का अद्भुत उदाहरण है।
हरियाली तीज का महत्व
पार्वती-शिव मिलन का प्रतीक- यह दिन देवी पार्वती द्वारा भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के तप और सफलता का प्रतीक है।
विवाहित स्त्रियों का सौभाग्य पर्व- महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए यह व्रत करती हैं।
प्रकृति उत्सव- हरियाली तीज वर्षा ऋतु के दौरान आता है जब प्रकृति अपने हरे-भरे रूप में होती है।
पूजन सामग्री
मिट्टी या धातु की शिव-पार्वती प्रतिमा
अक्षत, रोली, चंदन, पुष्प, दूब
मेहंदी, चूड़ी, साड़ी, सिंदूर, काजल आदि श्रृंगार सामग्री
पकवान: घेवर, मालपुए, पूड़ी, हलवा आदि
फल, पान, सुपारी, नारियल
दीपक, धूप, कपूर
पूजा विधि
प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और निर्जल व्रत का संकल्प लें।
पूजा स्थल को सजाएँ, शिव-पार्वती की मूर्ति को स्थापित करें।
उन्हें जल, दूध, पंचामृत से स्नान कराएँ और वस्त्र, फूल, अक्षत अर्पित करें।
श्रृंगार सामग्री अर्पित करें। सुहागिन स्त्रियाँ 16 श्रृंगार करके पूजा करती हैं।
दीपक जलाकर हरियाली तीज व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
“ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
अंत में आरती करके प्रसाद वितरण करें।
हरियाली तीज का सामाजिक महत्व
हरियाली तीज पर महिलाएं समूह में गीत गाते हुए झूला झूलते हैं। इस दिन बेटियों को विशेष पकवान, गुजिया, घेवर, फैनी आदि सिंधारा के रूप में भेजा जाता है। सुहागिनें इस दिन बायना छूकर सास को देती हैं। इस तीज पर मेंहदी लगाने का विशेष महत्व है। महिलाएं हाथों पर मेंहदी से विभिन्न प्रकार के बेल-बूटे बनाती हैं।
यह त्योहार भारतीय परंपरा में पति-पत्नी के प्रेम को और प्रगाढ़ बनाने का अवसर है। इस दिन कुंवारी कन्याएं व्रत रखकर अपने लिए शिव जैसे वर की कामना करती हैं। विवाहित महिलाएं अपने सुहाग को भगवान शिव और पार्वती से अक्षुण्ण बनाए रखने की प्रार्थना करती हैं।
इस पर्व को बुंदेलखंड में हरियाली तीज के नाम से मनाया जाता है, जबकि पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसे कजली तीज के रूप में मनाने की परंपरा है। राजस्थान में इस पर्व का विशेष महत्व है, खासकर जयपुर में। यदि इस दिन वर्षा होती है, तो पर्व का आनंद और बढ़ जाता है।