Newzfatafatlogo

65 साल से जलवा... 3 दिन पहले ही मैदा का घोल करते हैं तैयार, फिर बनती है ये लाजवाब जलेबी

अगर हम आपसे कहें कि जलेबी एक रुपये किलो और दही एक रुपये किलो मिलता था तो आप चौंक जायेंगे. लेकिन ये बिल्कुल सच है क्योंकि हम 65 साल पहले की बात कर रहे हैं. जब जलेबी घी और चीनी में बनती थी और आटा भी सस्ता था। महंगाई बढ़ती रही और जलेबी के दाम भी बदले लेकिन जो नहीं बदला वो था शंकरजी की जलेबी का स्वाद. शंकरजी जलेबी का स्वाद आज भी बरकरार है. यह दुकान कटिया टोला निशात टॉकीज रोड, शाहजहाँपुर पर स्थित है।
 | 
65 साल से जलवा... 3 दिन पहले ही मैदा का घोल करते हैं तैयार, फिर बनती है ये लाजवाब जलेबी

अगर हम आपसे कहें कि जलेबी एक रुपये किलो और दही एक रुपये किलो मिलता था तो आप चौंक जायेंगे. लेकिन ये बिल्कुल सच है क्योंकि हम 65 साल पहले की बात कर रहे हैं. जब जलेबी घी और चीनी में बनती थी और आटा भी सस्ता था। महंगाई बढ़ती रही और जलेबी के दाम भी बदले लेकिन जो नहीं बदला वो था शंकरजी की जलेबी का स्वाद. शंकरजी जलेबी का स्वाद आज भी बरकरार है. यह दुकान कटिया टोला निशात टॉकीज रोड, शाहजहाँपुर पर स्थित है।

जलेबी बनाने वाले हरिश्चंद्र गुप्ता का कहना है कि जलेबी बनाना उनका 65 साल पुराना काम है. तब से वह जलेबी बेच रहे हैं। जबकि चीनी 1 रुपये 50 पैसे प्रति किलो और आटा 75 रुपये प्रति किलो मिलता था. उन दिनों जलेबी बनाने के लिए मूंगफली और तिल के तेल के साथ घी का भी इस्तेमाल किया जाता था. उस समय जलेबी गैस सिलेंडर से नहीं बल्कि कोयले की भट्टी से बनाई जाती थी.

65 साल से जलवा... 3 दिन पहले ही मैदा का घोल करते हैं तैयार, फिर बनती है ये लाजवाब जलेबी

सब कुछ बदल गया लेकिन जलेबी का स्वाद नहीं बदला.


हरिश्चंद्र गुप्ता ने कहा कि समय बदला और महंगाई बढ़ती गई। लेकिन फिर भी उन्होंने जलेबी का स्वाद बरकरार रखा. जिसके कारण लोग आज भी उनके हाथ की जलेबी का स्वाद चखने का इंतजार करते हैं. हरिश्चंद्र गुप्ता ने बताया कि जलेबी बनाने में वे किसी भी तरह के केमिकल का इस्तेमाल नहीं करते हैं. जलेबी को बेहतर स्वाद देने के लिए वह 3 दिन पहले आटा घोलते हैं और फिर जलेबी को शुद्ध चीनी में तलने के बाद उसे चीनी की चाशनी में डुबाकर जलेबी तैयार करते हैं. फिर जब ग्राहक जलेबी मांगता है तो उसे जलेबी दी जाती है.

3 घंटे में सारी जलेबियाँ बिक गईं

65 साल से जलवा... 3 दिन पहले ही मैदा का घोल करते हैं तैयार, फिर बनती है ये लाजवाब जलेबी
हरिश्चंद्र गुप्ता का कहना है कि वह सुबह 8 बजे से 11 बजे तक जलेबी बेचते हैं। इस दौरान हर दिन करीब 200 लोग जलेबी खाने आते हैं. उनके यहां जलेबी 120 रुपये प्रति किलो और जलेबी के साथ दही भी 120 रुपये प्रति किलो दिया जाता है.